Kanhaiya Jha Tue, Jan 28, 2014 at 12:39 PM
(Research Scholar)
Makhanlal Chaturvedi National Journalism and Communication University,
Bhopal, Madhya Pradesh
बीसवीं शताब्दी में ब्राजील का आधुनिकरण तीन स्तंभों आर्थिक विकास, औद्योगीकरण, एवं शहरीकरण पर आधारित था. सन 1980 में कृषि एवं खनन (प्राथमिक क्षेत्र) में संलग्न जनता का प्रतिशत घटते-घटे केवल 30 रह गया था. गरीब एवं अति-गरीब का प्रतिशत 35 होने से ब्राजील उस समय सबसे अधिक असमान देश था. उसी सदी के 50से 80 के दशक के बीच जिस तेज़ी से शहरी जनसंख्या बढी, शहरी सुविधायें उस रफ़्तार से नहीं बढीं. ब्राजील के सबसे संपन्न इलाके में साफ़ पानी की सुविधा 80 प्रतिशत, और सीवर की सुविधा केवल 55 प्रतिशत लोगों तक थी.
अस्सी के दशक तक जनता भी संगठित नहीं थी. जन-सुविधाओं के वितरण में राजनीतिक दलालों का बोल-बाला था. परंतू इसी दशक से ब्राजील में बदलाव शुरू हुआ. जनता ने पड़ोस-मंडलियाँ (Neighborhood Associations) बनाईं, जो की अ-राजनैतिक होने की वजह से सत्ता से स्वतंत्र थीं. यदि प्रशासन उन्हें जन-सुविधायें दे रहा था तो उनपर कोई उपकार नहीं कर रहा था. मजदूरों की पड़ोस-मंडलियों ने राजनीतिक पार्टियों के कब्ज़े वाली ट्रेड-यूनियनों के खिलाफ विद्रोह किया. अन्य मध्य-वर्गीय व्यावसायिक (Professional) समूहों जैसे डाक्टर, वकील आदि ने भी पड़ोस-मंडलियों की उपयोगिता को समझा. इन आन्दोलनों से सत्ता पर लम्बे समय से काबिज़ राजनीतिक पार्टी की हार हुई.
नयी पार्टी के आने से राज-तंत्र में दलाली का वातावरण बना रहा. वास्तव में कार्यपालिका 'सरकारी बजट' नाम के ब्रह्मास्त्र से सभी अपने एवं विपक्षी सांसदों को मुट्ठी में रखती थी. स्थानीय स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों की मिली-भगत से सामाजिक क्षेत्र की एवं जन-सुविधा योजनाओं का पैसा जनता की बजाय मंत्रिओं एवं सांसदों की जेबों में पहुंचता था. इस कुटिल-तंत्र को तर्कसंगत तथा निरपेक्ष बनाने में कार्यपालिका योजना मंत्रालय का पूरा उपयोग करती थी.
सन 1990 में पहली बार ब्राजील में पहली बार सत्ता में आयी मजदूर पार्टी ने बजट बनाने में जनता को भागीदार बनाया. बजट बनाने की यह प्रक्रिया दो चरणों में होती थी. पहले चरण में अ-राजनैतिक पडोसी-संगठनों से विचार विमर्श होता था, तथा दूसरे चरण में स्थानीय चुने हुए जन-प्रतिनिधियों को शामिल किया जाता था. ये विचार-विमर्श सत्र के शुरू में ही पूर्ण कर लिए जाते थे. इनमें पिछले वर्ष में हुए कामों पर चर्चा होती थी तथा नए वर्ष के लिए प्रत्येक कालोनी में दी जाने वाली जन-सुविधाओं की प्राथमिकता तय की जाती थी.
ब्राजील द्वारा आर्थिक विकास, औद्योगीकरण, एवं शहरीकरण पर आधारित विकास का प्रतिमान भी सही नहीं था. नयी सरकार ने सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए जन-सुविधाओं में खेल-कूद, विश्राम एवं मनोरंजन, स्वास्थय आदि को भी शामिल किया.
बड़े शहरों में जन-सुविधाओं की कमी से कमज़ोर वर्ग की या तो गन्दी बस्तियां (slums) या फिर अनधिकृत कालोनियां बन गयीं थीं. अभी तक प्रशासन शहरों को विश्व-स्तरीय सुन्दर बनाने की योजना के अंतर्गत शहर से बाहर विस्थापित करते थे जहां पर सालों-साल ये बिना जन-सुविधाओं के रहते थे. नयी मजदूर पार्टी की सरकार ने अनाधिकृत कालोनियों को मान्यता दी तथा गंदी बस्तियों में भी जन-सुविधाओं का विस्तार किया.
भारत में भी सन 1993 में 73 वे तथा 74 वे संविधान संशोधन से देश में शासन का तीसरा स्तर जोड़ा गया था. आदिवासी क्षेत्रों को छोड़कर गाँवों में पंचायतें तथा शहरों में नगरपालिकाओं को चुनावों द्वारा बनाना राज्य सरकारों के लिए अनिवार्य था. परंतू शासन में जनता की भागीदारी दो दशकों के बाद भी नगण्य है. दिल्ली विधानसभा के दिसंबर 13 के चुनावों में एक नयी पार्टी ने शासन सम्भाला है जिन्होनें घोषणा की है कि वे प्रदेश में जनता का शासन स्थापित करेंगे. अन्य प्रदेशों के मुकबले राजधानी क्षेत्र होने से जनता में अपने अधिकारों को लेकर सजगता भी अधिक है. यदि दिल्ली प्रदेश के मुख्यमंत्री ब्राजील के अनुभवों को गहराई से समझ अभी से प्रयास करें तो अगले वर्ष के बजट में प्रदेश की जनता का सहयोग सुनिश्चित कर सकते हैं.
लेखक कन्हैया झा से सम्पर्क:"+919958806745, (Delhi) +918962166336 (Bhopal)
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गुरुवार, 19 जून 2014
विकेंद्रीकरण के सन्दर्भ में ब्राजील का अध्ययन
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