- वैकल्पिक नीतियों पर संघर्ष वक्त की जरूरत-कॉमरेड करात
- आम आदमी के सवालों को सामने लाया उपवास ने-कॉमरेड वर्धन
- संविधान के खिलाफ हो रहा है काम- सच्चर
- उपवास के बाद होगा संघर्ष और तेज- अखिलेन्द्र
आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने खत्म किया दस दिवसीय उपवास जुटे सीपीआई(एम), सीपीआई, सीपीआई (एमएल), राष्ट्रीय उलेमा कौसिंल, सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय किसान यूनियन (अम्बावता) के नेतागण समेत देश की प्रगतिशील लोकतान्त्रिक आन्दोलन की ताकतें
नई दिल्ली, 16 फरवरी 2014, आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह का दस दिवसीय उपवास पूर्व घोषणा के अनुसार दसवें दिन सीपीआई (एम) के महासचिव कॉमरेड प्रकाश करात ने जूस पिलाकर समाप्त कराया। इस अवसर पर कॉमरेड करात के अलावा, वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता और सीपीआई के पूर्व महासचिव कॉमरेड ए0 बी0 वर्धन, सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेन्द्र सच्चर, सीपीआई (एमएल) के पोलित ब्यूरों सदस्य कॉमरेड स्वपन मुखर्जी, प्रभात चौधरी, राष्ट्रीय उलेमा कौसिंल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आमिर रसादी मदनी, भारतीय किसान यूनियन (अम्बावता) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऋषिपाल अम्बावता, पूर्व सासंद एम एजाज अली, प्रो0 शिवमंगल सिद्धांतकर, अर्थशास्त्री जया मेहता समेत देश की विभिन्न प्रगतिशील लोकतान्त्रिक आन्दोलनों की ताकतों के नेतागण जुटे।
यह उपवास कॉरपोरेट घरानों को लोकपाल कानून के दायरे में लाने, रोजगार के अधिकार को संविधान के मूल अधिकार में शामिल करने, साम्प्रदायिक हिंसा निरोधक बिल को संसद से पारित कराने, कृषि योग्य भूमि के कॉरपोरेट खरीद पर रोक लगाने, कृषि लागत मूल्य आयोग को वैधानिक दर्जा देने समेत आम नागरिक की ज़िन्दगी के लिये महत्वपूर्ण सवालों पर किया जा रहा था।
इस अवसर पर आयोजित सभा में अखिलेन्द्र ने कहा कि इस उपवास को जिस तरह से देश की विभिन्न प्रगतिशील लोकतान्त्रिक धाराओं के व्यापक हिस्से का समर्थन हासिल हुआ है और जनता के वास्तविक मुद्दों को राष्ट्रीय राजनीति के पटल पर सामने ले आने में सफलता हासिल हुयी है उससे यह विश्वास पुख्ता हुआ है कि इस देश में कॉरपोरेट राजनीति को शिकस्त मिलेगी और जनता की राजनीति की जीत होगी। उन्होंने कहा कि इस उपवास के दौरान बार-बार दमन के खिलाफ लोकतान्त्रिक अधिकारोंके लिये बारह वर्षो से उपवास पर बैठी इरोम शर्मिला याद आ रही। आज भी देश में महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहे है, पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों पर बर्बर हिंसा हो रही है, कश्मीर के लोंगो को राजधानी में पत्रकार वार्ता तक नहीं करने दी जा रही है। इन हालातों को हर हाल में बदलना होगा और हर हिन्दुस्तानी नागरिक कों चाहें वह हिन्दी-ऊर्दू भाषी क्षेत्र का हो, दक्षिण, मध्य भारत, पूर्वोतर या कश्मीर का हों उसे सम्मान के साथ जीने का अधिकार हासिल दिलाने के लिये चौतरफा आन्दोलन चलाना होगा।
अखिलेन्द्र ने कहा कि नई आर्थिक-औद्योगिक नीति ने सवालों को हल करने की जगह और जटिल कर दिया है। जिस चालू खाते के संकट को दूर करने के लिये इन्हें लाया गया था वह आज और भी गहरा हो गया है। बेरोजगारी बड़े पैमाने पर बढ़ी है और कृषि विकास गतिरूद्ध ही नहीं ऋणात्मक स्तर पर जा रहा है। ठेका मजदूरों के दोनों रूप चाहे वह शारीरिक श्रम करने वाले राष्ट्रपति भवन से लेकर उद्योगों तक में काम करने वाले हो या बौद्धिक श्रम करने वाले मीडिया, माल, सर्विस सेंटर में कार्यरतकर्मी असुरक्षित जीवन जीने के लिये अभिशप्त है। इनका हर हाल में नियमितिकरण के सवाल को हल करना होगा।
आइ पीएफ नेता ने कहा कि नई अर्थनीति के खिलाफ लड़ाई में आज देश में सर्वोपरि किसानों के सवाल हैं क्योंकि कॉरपोरेट घरानों की निगाहें किसानों की उपजाऊ जमीन पर लगी हुयी हैं और इन हितों को पूरा करने के लिये बड़े पैमाने पर किसानों की जमीन से बेदखली की जा रही है। इसलिये कृषि योग्य उपजाऊ भूमि की कॉरपोरेट खरीद पर रोक लगाने, देश में भूमि उपयोग नीति तत्काल बनाने और तत्काल प्रभाव से कृषि लागत मूल्य आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने की माँग को हमने उपवास के द्वारा बुलन्द किया है। उन्होंने कहा किप्राकृतिक संसाधनों की लूट को अंजाम देने और खेती-किसानी को बर्बाद करने के लिये आज देश में मुसलमानों व आदिवासियों को खलनायक बनाया जा रहा है और साम्प्रदायिक उन्माद फैलाया जा रहा है। किसानों को इससे सचेत करना होगा और जिन मुद्दों को उपवास से उठाया गया है उन पर संघर्ष को और तेज किया जायेगा।
अखिलेन्द्र के उपवास का समर्थन करने आए सीपीआई (एम) के महासचिव कॉमरेड प्रकाश करात ने कहा कि कांग्रेस की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ पैदा हो रहे आक्रोश के मद्देनजर देश के कॉरपोरेट घरानों द्वारा मोदी की फासीवादी राजनीति को बढ़ाने की कोशिश हो रही है। इसके खिलाफ वैकल्पिक नीतियों पर जनता के संघर्ष को आगे बढ़ानें में यह उपवास बड़ी भूमिका अदा करेगा। जिन मुद्दों को इस उपवास के माध्यम से उठाया गया है उसे आगे बढ़ाने के लिये सीपीआई (एम) हर तरह योगदान करेगी।
वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता और सीपीआई के पूर्व महासचिव कॉमरेड ए0 बी0 वर्धन ने कहा कि कॉरपोरेट घरानांे की राजनीति और अर्थनीति के खिलाफ जनता की राजनीति को खड़ा करने में अखिलेन्द्र के इस उपवास ने बड़ी भूमिका अदा की है।
सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेन्द्र सच्चर ने कहा कि आज संविधान की मूल आत्मा समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय को ही खत्म करने की कोशिश हो रही है। ऐसे में इस उपवास ने इन्हें पुनः स्थापित करने का काम किया है।
सीपीआई (एमएल) के पोलित ब्यूरों सदस्य कॉमरेड स्वपन मुखर्जी ने कहा कि कामरेड़ अखिलेन्द्र का उपवास पूरे जनता का रोजगार से लेकर महंगाई तक के सवालों पर देश की वाम जनवादी ताकतों का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहा है।
राष्ट्रीय उलेमा कौसिंल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आमिर रशादी मदनी ने उपवास का समर्थन करते हुए कहा कि साम्प्रदायिक हिंसा निरोधक बिल यदि पास हुआ होता तो मुजफ्फरनगर का दंगा न होता।
पूर्व सासंद एम0 एजाज अली ने कहा कि मुल्क में पहली बार किसी ने धारा 341 में संशोधन कर दलित मुसलमानों को दलित का दर्जा देने के लिये दस दिन तक उपवास किया है। उम्मीद है कि जो लड़ाई अखिलेन्द्र ने शुरू की है वह अंजाम तक पहुंचेगी।
सभा का समापन आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस0 आर0 दारापुरी व संचालन राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य लाल बहादुर सिंह ने किया।
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