2014-02-06 10:25 AM को रवि नाईक उवाच पर प्रकाशित
इस बार भी आम चूनाव के बाद सत्ता अप्रत्यक्ष रुप से कांग्रेस पास ही रहने जा रही है देश राजनितीक हालात यही बयान कर रहे है ।जीस तरह से जयललिता ने लेफ्ट के लिये प्रेम दिखाया है , जीस तरह से ममता ने पीएम कि कुर्सी के लिये दावा ठोका है उसने भाजपा की चुले हीला दी उपर से नितीश कुमार से दुरीयां अरविदं केजरीवाल का उदय।एसे कई कारण है जो मोदी को भी पीएम इन वेटिंग रखने के लिये पर्याप्त हे !अब भाजपा के थींक टेकं भी सोचने को विवश है कि बदलती परिस्थिति मे क्या रणनीति बनाई जाय ।
उधर विधानसभा चुनावो मे पिटने के बाद कांग्रेस ने रणनीति बदली है कांग्रेस के नेता भी मानने लगे है कि मनमोहनसिंह कि सरकार के खीलाफ देशभर वातावरण बन चूका है और दिल्ली कि सत्ता जनता सीधे-सीधे उसके हाथो मे नही सौपेगी । कांग्रेस राहुल के लिये पांच साल का इन्तजार भी नही करना चाहती है बस इसी सोच ने कांग्रेस का प्लान बी तैयार कर दिया ।कांग्रेस की तैयारियो को देखकरतो कम से कम यही कहा जासकता है ।एक ओर भाजपा अपने चुनावी अभीयान मे पुरी तरह जुट गई है , प्रादेशिक दल भी समर मे उतरने को तैयार दिख रहे है वही कांग्रेस अभी भी शांत मुद्रा मे नजर आरही है ।कांग्रेस मे करीब दो वर्ष पुर्व बनी चुनाव पुर्व गठबंधन समिती ने भी गठबंधन पर कोई विशेष प्रयास नही किये और नही चुनावी रैलीयां हो रही है ।राहुल खुद घोषणापत्र के लिये छोटे-छोटे समुहो से बात कर रहे है ।
एसे हालत मे कांग्रेस तीसरा मोर्चा को पुरा अवसर देगी, गैर भाजपा गैर कांग्रेस के नाम पर ही सही परंतु बहुत सारे महत्वाकांक्षी नेताओं की जमात एक साथ आजाये ।
चुनाव के बाद कांग्रेस, भाजपा के अलावा तीसरा मोर्चा भी शक्ति बनकर उभरे ।केन्द्र मे तीन बराबर कि ताकत कांग्रेस के लिये आदर्श स्थिति होगी । एसे हालत मे सत्ता की चाबी फिर कांग्रेस के हाथों मे होगी ।ये भाजपा नेता भी समझते है अब वे जनता मे संदेश दे रहे है कि भाजपा को छोड़कर किसी भी दल को वोट दिया मतलब अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस को ही देने के बराबर है ।
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