बुधवार, 2 अप्रैल 2014

गुण्डागर्दी भारतीय संस्कृति के नाम पर

Posted by: रणधीर सिंह सुमन March 31, 2014 in बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे Leave a comment

नीरज कुमार वर्मा एडवोकेट
        देश की हिन्दुत्व की ठेकेदार संस्था राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भारतीय सभ्यता और संस्कृति को नये तरीके से परिभाषित किया है। जिसका परिणाम यह हो रहा है कि नवजवानों को जगह-जगह पीटा जा रहा है, मारा जा रहा है और हद तो यहाँ तक हो गयी है कि महाराष्ट्र के सांगली जनपद में एक लड़की की शादी गधे से फेरे लगवाकर करवायी है। मंगलौर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचार धारा से ओत प्रोत श्री राम सेना ने पब के अन्दर घुसकर लड़के और लड़कियों को बुरी तरह से मारा पीटा। इस घटना के बाद एक लड़की ने आत्म हत्या तक कर ली।
भारतीय सभ्यता और संस्कृति को कठमुल्लापन देने के  लिये संघ की सोच जिम्मेदार है। मानव विरोधी सोच रखने वाले यह लोग भारतीय सभ्यता और संस्कृति के बारे में सब कुछ जानने के बावजूद भी अपना आतंक पैदा करने के लिए नये-नये हथकण्डे अपनाते हैं।
’’ अमिय हलाहल मद भरे, श्वेत श्याम रतनार।
जिरत-मरत झुक-झुक परत, जेहि चितवत एक बार।।’’
उपरोक्त पक्तियाँ राधा और कृष्ण की रासलीला को दर्शाती है। भारतीय दर्शन में प्रेम का अद्भुत महत्व है। चन्देलों ने खजुराहों में मन्दिर बनवाये हैं। वह उच्च कोटि के हैं। संघी विचारकों को वहाँ जाकर उनका अध्ययन करना चाहिए। हमारे यहाँ मधुमास होता है जो हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण मास होता है। विदेशी कारों पर बैठेंगेविदेशी पैसे से संगठन चलायेंगेविदेशी ज्ञान का उपयोग जीवन स्तर को बढ़ाने में करेंगे और जब संस्कृति की बात आयेगी तब यह लोग हर समझदार दार्शनिकवैज्ञानिक का विरोध करेंगे और नयी हिन्दुत्व की परिभाषा गढ़ने लगते हैं
इसी क्रम में ’’वेलेन्टाइन डे’’ में चूँकि वेलेन्टाइन शब्द ईसाई सन्त के नाम पर है। इसलिए पूरे देश में विश्व हिन्दू परिषद, शिव सेना, श्री राम सेना, दुर्गावाहिनी सहित अन्य धर्मान्ध संगठन युवक-युवतियों के दुश्मन बन जाते हैं। इसी वर्ष उज्जैन में भाई-बहनों को बुरी तरीके से पीटा गया और इस तरह की घटनाएँ पूरे देश में हुयीं।
श्री राम सेना के जयपुर जिलाध्यक्ष किशोर सिंह की गोवा में अनजान महिला के साथ रंगरेलियाँ मनाते हुये चित्र समाचार पत्रों में प्रकाशित हुये थे। यदि एक साल के अखबारों का अध्ययन किया जाय तो सबसे ज्यादा इन संस्कृति के ठेकेदारों के वास्तविक चरित्र के समाचार मिलेंगे।
भारतीय सभ्यता और संस्कृति में फागुन माह में होली का त्यौहार एक महत्वपूर्ण पवित्र त्यौहार है जिसका एक दर्शन है। उस त्यौहार को ही आने वाले दिनों में मॉरल पुलिसिंग करने वाले लोग बन्द करा देंगे और देश की जनता को अघोषित ड्रेस कोड लागू कर खाकी हाफ पैन्ट और सिर पर काली टोपी रखने के लिये मजबूर करेंगे।
आज जरूरत इस बात की है कि ऐसे तत्वों और ऐसे संगठनों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाये। जिससे यह लोग भारतीय सभ्यता और संस्कृति को कलंकित न कर सकें।

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