शुक्रवार, 18 जुलाई 2014

कैसा होगा आपका स्मार्ट शहर?

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मेरा स्मार्ट शहर
जब से भारत में स्मार्ट शहर बनने की खबरें आई हैं, मेरे मन में भयंकर स्मार्ट सी उम्मीदें जग रही हैं. स्मार्ट शहर में रहने का कितना मजा रहेगा. हमारे ये स्मार्ट शहर, स्मार्टफ़ोन की तर्ज पर हमें हर एंगल से स्मार्ट बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखेंगे. क्या इन स्मार्ट शहरों में रहने के लिए आदमी का स्वयं का स्मार्ट होना भी एक जरूरी न्यूनतम क्वालिफ़िकेशन होगा और क्या हम जैसे कम स्मार्ट – रतलामी, भोपाली टाइप के लोगों को इन शहरों में घुसने-रहने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा? वैसे, अभी तो कोई रतलामी होता है, कोई भोपाली, कोई मुंबइया तो कोई कानपुरी. कल को इन प्रतीकों और तखल्लुसों के वजूद पर स्मार्ट शहरों का बड़ा खतरा आने वाला है. कल को अधिकतर लोगों के तखल्लुस उनके अपने स्मार्ट शहरों के नाम पर स्मार्टी, स्मार्टी प्लस और या स्मार्टी 1, 2, 3 होने वाले हैं.
अब सवाल ये है कि अपने अतुलनीय भारत का स्मार्ट शहर क्या और कितना अतुलनीय स्मार्ट होगा? क्या वो इतना स्मार्ट होगा कि सड़क पर खुले आम गुटखा खाकर थूकने वालों का ऑटोमेटिक चालान काट देगा, या, अधिक बेहतर – थूक और गुटखा की पन्नी को ऑटोमेटिक रूप से तुरंत साफ कर देगा. शहर इतना स्मार्ट होगा कि इधर आपने कहीं पान खाकर पीक थूका नहीं और उधर वो स्वचालित तरीके से साफ हुआ नहीं. यानी, कूड़ा-कचरा, पन्नी-पॉलीथीन और धूल-गर्दी रहित स्मार्ट शहर! अगर ऐसा हो तो कितना अच्छा हो!
शहर को ट्रैफ़िक के मामले में तो स्मार्ट होना ही चाहिए, नहीं तो काहे का स्मार्ट. स्मार्ट शहर में ट्रैफ़िक जाम जैसी चीज का नामोनिशान न हो. और, अगर ट्रैफ़िक ही न हो तो क्या बात. काम करने के लिए ऑफ़िस जाने जैसी बेतुकी बात न हो. घर से ही काम करने की सुविधा हो. ऑनलाइन मॉल की सुविधा हो, जिसमें स्वचालित ड्रोन से पिज्जा आदि की डिलीवरी की सुविधा हो. कभी कहीं जाना भी पड़े तो सड़कें चमचमाती, साफ सुथरी, ट्रैफ़िक रहित हों, चौराहे बत्ती रहित हों और, खालिस भारतीय अंदाज में कोई भी वाहन कभी भी कहीं से आ जा सके. दरअसल, सड़कें इतनी स्मार्ट हो कि यदि कोई बाइक वाला सामने से कट मारकर निकलने का प्रयास करे तो सड़क स्वयं एलीवेट होकर इसकी स्मार्ट व्यवस्था करे ताकि किसी को कोई नुकसान न हो और इस तरह से सड़कें स्मार्ट तरीके से दुर्घटना रहित बन सकें. और, वैसे भी, कोई शहर तभी स्मार्ट कहलाएगा जब उसकी सड़कें स्मार्ट होंगी – सेल्फ़ हीलिंग सड़कें – आपने इधर गड्ढा खोदा नहीं, और उधर वह गड्ढा स्वचालित तरीके से भरा नहीं. अभी तो हर कोई, कोई न कोई काम से सड़कों में गड्ढा खोद कर चला जाता है और भरना भूल जाता है. इस समस्या को दूर करने के लिए वैसे भी भारत की तमाम सड़कों का स्मार्ट होना बहुत जरूरी है.
शहर, मकानों से बनता है. और स्मार्ट शहर, जाहिर है, स्मार्ट मकानों से ही बनेगा. आपके स्मार्ट शहर के स्मार्ट मकान को इतना स्मार्ट तो होना ही चाहिए कि यदि दिन में 12 घंटे भी बिजली न मिले तो इसमें मौजूद इलेक्ट्रॉनिक उपकरण चिल्ल-पों न मचाएं, बल्ब की बत्ती गुल न हो, पंखे की हवा कम न हो. पानी 24 घंटे न सही, 24 घंटे में एक बार कम से कम घंटे भर के लिए तो आए.
और, खुदा खैर करे, यदि आपको कभी एक स्मार्ट शहर से दूसरे स्मार्ट शहर को जाना हो तो महीने भर पहले ट्रेन में रिजर्वेशन करवाने पर कन्फ़र्म सीट मिले, और आप ट्रेन में चोरी-डकैती-चूहे-के-काटने आदि के भय के बिना अपनी यात्रा स्मार्ट तरीके से पूरी कर सकें.
आपको आपके स्मार्ट शहर के लिए अग्रिम स्मार्ट शुभकामनाएं!

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