शुक्रवार, 18 जुलाई 2014

क्या देश का रूपांतरण कर पाएगी मोदी सरकार?

इस बारे में कभी दो राय नहीं थी कि देश के भीतर काले धन की जबर्दस्त समांतर व्यवस्था काम करती है और लगभग 70 फीसदी कारोबार हिसाब-किताब के बाहर होता है। आज अमर उजाला ने एक सरकारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए एमके वेणु की खबर छापी है। पिछले कुछ वर्षों में विदेशी बैंकों में जमा काले धन को लेकर जो चर्चा शुरू हुई है उसके राजनीतिक निहितार्थ हैं। चूंकि काले धन का रिश्ता अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से रहा है इसलिए दुनिया का ध्यान इस ओर गया है। इस चक्कर में भारतीय काले धन का जिक्र भी हुआ है। सच यह है कि भारतीय राज-व्यवस्था बेहद कमजोर है। देश के भीतर के सारे कारोबार को राज-व्यवस्था की निगहबानी में लाया जा सके तो राजकोषीय समस्याओं के समाधान संभव हैं। ध्यान दें कि हमारी राजनीति सामंती ढाँचे में रची-बसी है। वह बड़े स्तर के कर सुधार और व्यवस्थागत बदलाव होने से रोकेगी। इस प्रकार वह अपने न्यस्त स्वार्थों की रक्षा करने में सफल है। आज के अखबारों में बजट सत्र को लेकर खबरें हैं। इस सत्र में स्पष्ट होगा कि मोदी सरकार किस हद तक देश के रूपांतरण में बड़ी भूमिका निभाने वाली है। आज की कुछ खास कतरनों पर नजर डालें

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