शुक्रवार, 18 जुलाई 2014

पत्नी की सहमति के बगैर, पति शारीरिक संबंध बनाए तो वह बलात्कार नहीं


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दिल्ली की एक अदालत ने ने एक महिला से बलात्कार के आरोपी शख्स को बरी करते हुए यह टिप्पणी की कि पत्नी की सहमति के बगैर भी पति उससे शारीरिक संबंध बनाए तो वह बलात्कार नहीं होता.
महिला आरोपी के किरायेदार के तौर पर रही थी . बरी किए गए शख्स पर आरोप था कि उसने महिला को कोई नशीली चीज पिला कर उससे बलात्कार किया . इस शख्स पर शिकायतकर्ता महिला से शादी करने के बाद भी उससे बलात्कार करने का आरोप था .

अदालत ने कहा, ‘‘यह शिकायतकर्ता का ही कहना है कि आरोपी ने 20 जुलाई 2012 को एक मौलवी की मौजूदगी में अपनी बुआ के घर में उससे निकाह किया’’ अदालत ने कहा, ‘‘शिकायतकर्ता और आरोपी 20 जुलाई 2012 के बाद से कानूनी तौर पर शादीशुदा पति-पत्नी थे और उसके बाद दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बने . यदि शारीरिक संबंध में शिकायतकर्ता महिला की सहमति नहीं थी तो भी इसे बलात्कार नहीं कहा जा सकता’’

अदालत ने दिल्ली के रहने वाले आफताब आलम को यह कहते हुए बरी कर दिया कि महिला की गवाही ‘‘संदिग्ध’’ थी और उसे ‘‘विश्वसनीय’’ नहीं माना जा सकता .

शिकायतकर्ता महिला का आरोप था कि उसे नशीला पदार्थ खिलाकर बेहोशी की हालत में गाजियाबाद स्थित मैरिज रजिस्ट्रार के कार्यालय ले गया था. जहां विवाह पंजीकृत कराने संबंधी दस्तावेजों पर धोखे से उसके हस्ताक्षर करवा लिए. उसके बाद उससे जबरन शारीरिक संबंध स्थापित किए और कुछ समय बाद ही बेसहारा छोड़ दिया.अदालत ने फैसले में कहा है कि शिकायतकर्ता महिला अपने बयान में खुद स्वीकार कर चुकी है कि आरोपी ने उससे शादी की थी.

जहां तक नशीले पदार्थ के प्रभाव में विवाह संबंधी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने की बात है तो इसके समर्थन में कोई सबूत पेश नहीं किया गया. पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध बनना, चाहे वह जबरन बनाने का आरोप ही हो, बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता.

वहीं, मामले में आरोपी ने सफाई दी थी कि उसने शिकायतकर्ता महिला से पहले रीति-रिवाज से शादी रचाई, फिर महिला के ही कहने पर कोर्ट में शादी पंजीकृत करवाई थी. बाद में संपत्ति विवाद के चलते उसकी पत्नी ने शादी में अपनी सहमति से इंकार करते हुए उसके ऊपर बलात्कार व अन्य दूसरे आरोप लगा दिए

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