शुक्रवार, 18 जुलाई 2014

वारदात के 8 साल बाद फूटी इंसाफ की पहली किरण

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बेटे की मौत का बोझ मन पर लिए एक 70 साल की बुजुर्ग विधवा आठ साल तक बेटे की हत्या की एफआईआर दर्ज कराने के लिए दिल्ली पुलिस के तमाम नौकरशाहों व मंत्रियों के चक्कर काटती रही, मगर किसी का भी दिल वृद्धा की करुण पुकार सुनकर नहीं पसीजा। मगर, अब इस बुजुर्ग महिला की करुण पुकार को सुनकर राजधानी की कड़कडड़ूमा कोर्ट ने उसे न्याय दिलाने की ठोस पहल की है। अदालत के दखल के बाद बुजुर्ग महिला को पूरा न्याय तो न सही मगर, न्याय की पहली किरण फूटती हुई जरूर दिखाई दी है। अदालत के सख्त रवैये के बाद आखिरकार गीता कालोनी थाना की पुलिस ने वारदात के आठ साल बाद बुजुर्ग महिला के बेटे की हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है और मामले की जांच भी शुरू कर दी है। महानगर दंडाधिकारी सुरभि शर्मा वत्स ने गांधी नगर निवासी 70 वर्षीय बुजुर्ग सतनाम कौर की शिकायत पर गंभीर रवैया अपनाते हुए दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार भी लगाई और पुलिस की न्याय प्रणाली पर सवालिया निशान भी लगाए हैं। अदालत ने कहा कि हत्या जैसे गंभीर मामले में पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज न करना चौंकाने वाला रवैया है। इस मामले में पुलिस मुकदमा दर्ज कर तुरंत जांच करे। अदालत के आदेश पर गीता कालोनी थाना की पुलिस ने 16 जुलाई 2006 को कंवलजीत की जहर देकर की गई हत्या का मामला दर्ज कर लिया है।


यह था पूरा मामला

गांधी नगर निवासी 70 वर्षीय बुजुर्ग विधवा सतनाम कौर ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में कहा है कि वर्ष 2006 में उसके बड़े बेटे कंवलजीत व छोटे बेटे प्रीत पाल में गांधी नगर में 200 गज की एक प्रापर्टी को लेकर विवाद चल रहा था। इसी विवाद के चलते उसके बेटे प्रीतपाल ने अपने मित्र संजीव मित्तल व एक अन्य महिला के साथ मिलकर 16 जुलाई 2006 को कंवलजीत सिंह को जहर खिला दिया। मरने से पूर्व इस वारदात की सूचना कंवलजीत ने खुद 100 नंबर पर पुलिस को फोन करके दी थी। मगर, अस्पताल में बयान देने से पूर्व ही उसकी मौत हो गई थी। गीता कालोनी थाना की पुलिस ने इस मामले में आरोपियों से मिलीभगत कर कंवलजीत की मौत का मामला दर्ज नहीं किया। सतनाम कौर ने बताया कि उसने अपने बेटे की मौत पर इंसाफ के लिए अपनी बेटी हरविंदर कौर के साथ मिलकर पुलिस थाना, पुलिस अधिकारियों, दिल्ली के मंत्रियों के खूब चक्कर काटे। मगर उसे कहीं से भी इंसाफ नहीं मिला। उसने अदालत की भी शरण ली। महानगर दंडाधिकारी सुरभि शर्मा ने 14 मार्च को पुलिस को केस दर्ज करने का आदेश दिया। उसके बावजूद पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया। आरोपियों ने इस फैसले को सेशन कोर्ट में चुनौती दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पीएस तेजी ने 27 मई को उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद सतनाम कौर ने दोबारा से अदालत में अर्जी दायर की। इस बार अदालत ने पुलिस को कड़ी फटकार लगाई और 7 जून को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिया। पुलिस ने केस दर्ज कर उसकी प्रति अदालत में दाखिल कर दी है

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