नई दिल्ली(आर.एन.आई)/प्रेस काउंसिल आफ इंडिया (पीसीआई)के अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू के दक्षिण एशिया मीडिया आयोग की ओर से आयोजित सेमिनार में दिए गए भाषण के समर्थन में विभिन्न लोगों विशेषकर शिक्षित भारतीय मुसलमानों की ओर से समर्थन में ब्यान आना प्रारंभ हो गए हैं। पिछले दिन दिल्ली के इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेन्टर में दिए गए अपने भाषण में जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने क्हा कि वह पाकिस्तान को एक वैध राज्य नहीं मानते क्योंकि इस देश के विभाजन का कोई तार्किक आधार नहीं था।
अपने भाषण में जम्मू कश्मीर के विषय पर बोलते हुए जस्टिस काटजू ने क्हा कि भारत और पाकिस्तान को एक करना ही कश्मीर की समस्या का समाधान है। उन्होंने यह भी क्हा कि कश्मीर समस्या का मूल कारण भारत और पाकिस्तान विभाजन है। दोनों देशों का विभाजन ‘दो राष्ट्र के आधार’ पर हुआ जिस में क्हा गया कि हिन्दु और मुसलमानों के लिए अलग देश हों। यह बहुत ही निराधार तर्क है, उन्होंने क्हा, और आगे जोड़ा कि ‘‘मैं पाकिस्तान को वैध राज्य नहीं मानता क्योंकि इसकी स्थापना दो राष्ट्र के आधार पर हुई जो मुझे स्वीकार नहीं है।’’
जस्टिस काटजू ने क्हा कि कश्मीर समस्या का एकमात्र समाधान एक मजबूत,धर्मनिरपेक्ष और आधुनिक मानसिकता वाली सरकार के तहत भारत और पाकिस्तान का फिर से एक होना ही है। ऐसी सरकार मजबूती से धार्मिक कट्टरपंथिता का मुकाबला करेगी और कोई भेदभाव सहन नहीं करेगी। जस्टिस काटजू ने क्हा कि 1857 के बाद ब्रिटिश सरकार ने हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच दरार पैदा करने के लिए ‘दो राष्ट्र सिद्धांत’ को बढ़ावा दिया था।
भारत में जारी सांप्रदायिकता का उल्लेख करते हए जस्टिस काटजू ने क्हा कि 1857से पहले यहा शून्य प्रतिशत सांप्रदायिकता थी। आज 80 प्रतिशत हिन्दु और 80 प्रतिशत मुसलमान सांप्रदायिक हैं। यह एक सख्त और कठोर वास्तविकता है।
जस्टिस काटजू के भाषण के समर्थन में ब्यान जारी करते हुए हदीसे दिल के अध्यक्ष और पत्रकार सैयद अजीज हैदर ने क्हा कि ‘हदीसे दिल’ का अर्थ होता है ‘दिल की बात’ और जस्टिस काटजू ने जो बात की है वह देश के कई शिक्षित एवं बौद्धिक मुसलमानों के मन में थी। उन्होंने क्हा कि इस में कोई शक नहीं कि पाकिस्तान एक असफल राज्य साबित हुआ है जिस ने दुनिया को लाभ कम और हानि अधिक दी है। उन्होंने क्हा कि आज पाकिस्तान में सांप्रदायिक विभाजन इतना अधिक इसलिए है क्योंकि इस देश की नींव ही विघटन पर रखी हुई है।
अंग्रेजों की ‘तोड़ो और राज करो’ नीति का हवाला देते हुए सैयद हैदर ने क्हा कि इतिहास गवाह है कि यह लोग जहां भी गए वहां उन्होंने दीवारें बनाईं और सरहदें स्थापित करीं जिसके नुकसान मानवता आज तक उठा रही है। इस संदर्भ में अरब देशों का हवाला देते हुए उन्होंने क्हा कि वहां तो दो धर्मों का विवाद नहीं था फिर भी मुसलमानों के बीच आपस में ही सीमाएं स्थापित कर दीं और अपने कठपुतली शासक बिठा दिए ताकि वे आपस में ही लड़ते रहें और कभी भी इतने शक्तिशाली न हो सकें कि पश्चिमी देशों के सामने खड़े हो सकें। दक्षिण अमरीका और अफ्रीका में तो उन्होंने केवल नकशे पर लाईनें खींच कर सरहदें बना दीं और जरा भी परवाह नहीं की कि परिवार, कबीले और कौमें आपस में बंट जाएंगी।
सैयद हैदर ने क्हा कि इस प्रकार अपने ‘दिल की बात’केवल जस्टिस काटजू ही रख सकते थे। उन्होंने क्हा कि उन्हें खुशी है कि जस्टिस काटजू ने जो ब्यान दिया वह भारत और शायद पाकिस्तान के असंख्य पढ़े लिखे व्यक्तियों के विचारों का प्रतिनिधित्व करता है। भारत और पाकिस्तान की सरकारों को चाहिए कि वह इस क्षेत्र के 150करोड़ से अधिक जनसंख्या की भलाई ध्यान में रखते हुए एक साथ बैठें और एक मजबूत,धर्मनिरपेक्ष और आधुनिक मानसिकता वाली सरकार के तहत हिंदुस्तान और पाकिस्तान को फिर से एक करने के लिए प्रयास प्रारंभ करें।
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