उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि सरकारी नौकरियों के लिए उम्मीदवारों का चयन करने के लिए गठित साक्षात्कार बोर्ड के सदस्यों के नामों का खुलासा सूचना के अधिकार कानून के तहत नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे उनका जीवन खतरे में पड़ सकता है।
न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की पीठ ने कहा कि साक्षात्कार बोर्ड के सदस्यों के नामों और उनके पते का खुलासा होने से उनके जीवन या उनकी सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो सकता है। किसी असफल उम्मीदवार द्वारा ऐसे व्यक्तियों से बदला लेने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
उच्चतम न्यायालय ने पटना उच्च न्यायालय के उस आदेश को दरकिनार कर दिया जिसमें उसने बिहार लोकसेवा आयोग को उस साक्षात्कार बोर्ड के सदस्यों के नाम और पतों का खुलासा करने का निर्देश दिया था जिन्होंने राज्य पुलिस के अपराध जांच विभाग की प्रयोगशाला में नौकरी के लिए उम्मीदवारों की छंटनी की थी।
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