सोमवार, 1 सितंबर 2014

गैर इरादतन हत्या


ये तस्वीर कह रही है कि इस लिफ्ट को फिलहाल बंद कर दिया गया है। और इसके पीछे की वजह ये है कि ज्यादा वजन के साथ ये लिफ्ट नहीं चल पा रही है। ये लिफ्ट हमारी सोसाइटी की लिफ्ट है। जो शुरू होने के दिन से ही लगातार खराब चल रही थी। कई बार इस लिफ्ट में सोसाइटी में रहने वाले हम सारे लोग फंसे। फिर अलार्म के चीखने के बाद बाहर निकाले गए। हर बार ये कि लिफ्ट का सेंसर खराब हो जाता है लेकिन, इससे कोई चिंता की बात नहीं है। लिफ्ट फंस जाए तो परेशान होने की जरूरत नहीं। लेकिन, एक दिन जब पता चला कि किसी की मौत हो गई है तो समझ नहीं आया क्या किया जाए। बाद में पता चला कि टावर में काम कर रहे एक पेंटर ने नीचे आने के लिए लिफ्ट का बटन दबाया। लिफ्ट तो नहीं आई लेकिन, लिफ्ट का दरवाजा खुल गया और उसमें से नीचे गिरकर उसकी जान चली गई।

अखबारों में वो खबर भी आई। लापरवाही से जान जाने का मामला भी दर्ज हुआ। लेकिन, सवाल वही है कि हमारे शहर या बहुमंजिली इमारत रहने के लिहाज से सुरक्षित हैं। और उस पर भी क्या जो मजदूर हैं उनकी सुरक्षा को लेकर किसी तरह के कोई नियम काम करते हैं। हालांकि, ये मौत मेरी भी हो सकती था या हमारे टावर में रहने वाले या फिर हमारे आने वाले किसी मेहमान की भी हो सकती थी। क्या इस मौत के बाद भी कोई नियम कानून काम करेगा या फिर आसानी से लापरवाही, गैरइरादतन जैसे कानूनी दांवपेच से ही बिल्डर या ऐसे काम करने वाली एजेंसी किसी भी तरह की कार्रवाई से बच जाएंगी। असंगठित क्षेत्र में मजदूरों के इस तरह से चोटिल होने, मरने की हर रोज ढेर सारी खबरें आती रहती हैं। अखबार छापता भी है। लेकिन, जब तक खुद ये मजदूर इस मामले में संगठित नहीं होंगे शायद ही इस तरह की खबरें कभी आनी बंद हों। और सबसे गंभीर ये है कि ऐसे मामलों में मुआवजा तक नहीं मिल पाता। 

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