शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014

उगते सूरज के देश में ‘भ्रष्टाचार’!!!

भ्रष्टाचार की एक प्रमुख वजह यह है कि राज्य में न्यायपालिका दूसरे राज्यों की तरह स्वतंत्र नहीं है। यहाँ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की जवाबदेही सरकार के प्रति है गुवाहाटी हाईकोर्ट के नहीं।

ईटानगर से रीता तिवारी

पूर्वोत्तर में चीन की सीमा से लगा पर्वतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश को ‘उगते सूरज का देश’ कहा जाता है। इसकी वजह यह है कि देश के दूसरे राज्यों के मुकाबले सूरज की रोशनी यहाँ पहले पहुँचती है। लेकिन यह जितना सच है उतना ही सच यह भी है कि राज्य में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरे रच-बस चुकी हैं। बावजूद इसके यहाँ होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भ्रष्टाचार कोई मुद्दा ही नहीं है। राज्य में बगावत और दलबदल का लंबा इतिहास रहा है। इसी इतिहास के डर से मुख्यमंत्री नबाम टूकी ने विधानसभा की मियाद सात महीने बाकी रहते ही उसे भंग कर लोकसभा के साथ ही उसका चुनाव कराने की सिफारिश कर दी। अब नौ अप्रैल को लोकसभा की दो सीटों के साथ ही विधानसभा के लिये भी वोट पड़ेंगे।

पहले नेफा यानी नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी कहे जाने वाले अरुणाचल को सत्तर के दशक के आखिर में केंद्र शासित प्रदेश और वर्ष 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। लेकिन लंबे समय तक एक ही पार्टी की सरकार रहने की वजह से राज्य में भ्रष्टाचार की जड़ें धीरे-धीरे गहरी होती रहीं। इस भ्रष्टाचार की झलक असम से अरुणाचल की सीमा में घुसते ही मिलने लगती है। राजधानी इटानगर से कुछ पहले ही हाइवे के किनारे एक से बढ़ एक आलीशान होटल सिर उठाए खड़े हैं। इनके ज्यादातर मालिक या तो विभिन्न विभागों के इंजीनियर हैं या फिर दूसरे बाबू और अफसर। आखिर कुछ हजार की तनख्वाह पाने वाले यह अफसर करोड़ों के आलीशान होटल के मालिक कैसे बने, इस सवाल का जवाब तलाशना कोई मुश्किल नहीं है। ‘जियो और जीने दो’ की तर्ज पर राज्य में चलने वाली तमाम विकास परियोजनाओं में ऊपर से नीचे तक सबका हिस्सा तय होता है। पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद ही सब बेहद नियम से इस अलिखित नियम का पालन करते रहे हैं। गेगांग अपांग ने दो दशक से भी लंबे समय तक अरुणाचल पर राज किया है। पहले कांग्रेस नेता के तौर पर तो बाद में अपनी अलग पार्टी बना कर। फिलहाल वे भाजपा में हैं।

राज्य के लोवर सुवर्णसिरी जिले में हजारों करोड़ की लागत से कई बड़े बांधों के निर्माण के लिये सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर हुये हैं। इन बांधों के विरोध में आंदोलन भी हो रहे हैं। इनकी वजह से हजारों लोग विस्थापन के शिकार हैं। लेकिन इनके एवज में नजराने या कमीशन के तौर पर मिलने वाली रकम के मोह में राजनेताओं और अफसरों ने इसके अंधेरे पहलू की ओर से आंखें मूंद रखी है। कांग्रेस की तो यहाँ सरकार है और ज्यादातर समझौते उसी ने किए हैं। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि यहाँ कांग्रेस को चुनौती दे रही भाजपा ने भी इसे कोई मुद्दा नहीं बनाया है। आखिर हमाम में सब नंगे जो हैं।
भ्रष्टाचार की एक प्रमुख वजह यह है कि राज्य में न्यायपालिका दूसरे राज्यों की तरह स्वतंत्र नहीं है। यहाँ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की जवाबदेही सरकार के प्रति है गुवाहाटी हाईकोर्ट के नहीं

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