सोमवार, 5 मई 2014

मिडिया के चरित्र पर उठते गंभीर सवाल

2014-03-12 09:58 PM को रवि नाईक उवाच पर प्रकाशित

मिडिया के चरित्र पर उठते  सवालो का जवाब भी उस जनता को जानने का अधिकार है जो चेनलो की टीआरपी और प्रिंट मिडिया के पाठको की संख्या बढ़ाती  है |


 अपनी हर रिपोर्ट में दुसरो परसवाल  उठाने वाला मिडिया आज खुद  सवालो के घेरे में है आम जनता मिडिया कि भूमिका पर सवाल करने लगी है वैसे तो हमेशा से ही मिडिया पर सवाल उठते रहे है लेकिन हाल के कुछ वर्षो  में इनमे तेजी आई है , अब सवाल यह उठता है की आखिर मिडिया की निष्पक्षता संदेह के घेरे में क्यों है जब तक एक पत्रकार प्रोफेशनल रूप से

पत्रकारिता करता तब तक उसकी रिपोर्टिंग धारदार होती है लेकिन अक्सर देखा गया है की  तेज तर्राट पत्रकार धीरे धीरे राजनीती की और कदम बड़ा देते है और यही से मिडिया की निष्पक्षता समाप्त होने लगती है देश में कई ऐसे उधाहरण है जिन्होंने ने पत्रकारिता से करियर प्रारंभ  किया और बाद में विधायक सांसद यहातक की मंत्री भी बने पत्रकारो  की इस धरा ने मिडिया को बदनाम भी किया हालाँकि आज भी हमारे देश में मिडिया को बहुत स्वतंत्रता है और बड़ी संख्या में रिपोर्टर  से लगाकर    संपादक तक ईमानदारी से अपन काम कर रहे है जैसा की कहा जाता है एक मछली सरे तलब को गन्दा करती है वैसे ही कुछ महत्वकांशी पत्रकार प्रेस को बदनाम कर देते है सोशल मिडिया पर वायरल हो चुके  पुण्यप्रसून और अरविन्द की बातचीत  ने  इस बहस को  हवा दे दी है | स्व्तंत्र प्रेस किसी भी राष्ट्र के लिए आवस्यक है लेकिन प्रेस में गड़बड़ी उतनी ही घटक साबित हो सकती है इसलिए मिडिया के चरित्र पर उध रहे सवालो का जवाब भी उस जनता को जानने का अधिकार है जो चेनलो की टीआरपी और प्रिंट मिडिया के पाठको की संख्या बढ़ाती  है |

ताजा  मामला आज तक चेनल के एंकर पुण्यप्रसून  वाजपेयी और आम आदमी के नेता अरविन्द केजरीवाल के बिच हुई बातचीत का है इस एक मिनिट की बात चित के विडियो ने सोशल मिडिया  के माध्यम से फिर एक बार मिडिया की विश्वसनीयता को चुनौती दी  है .

पुष्पेंद्र आल्बे

लेखक/रचनाकार: पुष्पेंद्र आल्बे

मोबाइल: 098269 10022 पढ़ाई में अव्वल, खूब कीर्तिमान बनाएं, तोड़े, रसायन शास्त्र से स्नातकोत्तर भी किया, लेकिन युवावस्था में कदम रखने के साथ ही लग गया कि ग्यारह से पांच की सरकारी नौकरी करना अपने बस की बात नहीं। श्रीलंकाई क्रिकेट टीम के बचपन से ही प्रषंसक, सो क्रिकेट के ऊपर लिखना हमेषा ही दिल को भाया। क्रिकेट के साथ ही बॉलीवुड के क्लासिक दिग्गजों-संजीव कुमार, गुलजार साहब जैसो की फिल्में देख-देखकर इसकी भी समझ आ गई। दैनिक जागरण से टेªनी रिपोर्टर के तौर पर काम शुरू किया, फिर गृहनगर छोड़कर मप्र की व्यावसायिक राजधानी इन्दौर में किस्मत आजमाने आ गए। प्रिंट मीडिया से अलग हटकर कुछ करने की चाह हुई, तो खबर इंडिया की नींव रखी। कुछ ही समय में खबर इंडिया इंटरनेट बिरादरी की कुछेक चुनिंदा पोर्टलों में शामिल हो गई है....लेकिन यह तो बस शुरूआत भर है....अभी आगे बहूत दूर जाना है....

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