दिल्ली की एक अदालत ने सड़क हादसे में जान गंवाने वाले दो भाइयों के परिजनों को एक करोड़ चार लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। मोटर एक्सिडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल Motor Accident Claim Tribunal (MACT) जज एस . सी . मलिक की अदालत ने 30 दिन के भीतर इंश्योरेंस कंपनी को मुआवजे की राशि दोनों भाइयों के परिजनों को देने का आदेश दिया।
इस मामले के मुताबिक तीन साल पहले गाजियाबाद में दो भाईयों द्वारा हिंडन नदी का पुल पार करते उनकी मोटरसाइकल को ट्रक ने पीछे से जोरदार टक्कर मार दी। इस हादसे में दोनों भाई गंभीर रूप से जख्मी हो गए। उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई। पुलिस ने ट्रक ड्राइवर वलीराम को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। मृतकों के परिजनों ने अदालत में याचिका दाखिल कर मुआवजा मांगा। परिजनों ने ट्रक ड्राइवर के अलावा उसके मालिक और बीमा कंपनी को भी पार्टी बनाया।
मृतकों में से एक व्यक्ति की पत्नी ने अदालत को बताया कि उनके पति सरकारी नौकरी करते थे। अन्य भत्तों के अलावा उनकी मासिक आय 23 हजार रुपये से अधिक थी। इसी तरह दूसरे भाई रेलवे में ड्राइवर थे। उसकी मासिक आय 41 हजार रुपये से ज्यादा थी। दोनों शख्स के परिजनों ने अदालत को बताया कि उनकी मौत से परिवार को गहरा सदमा पहुंचा ही है , साथ ही परिवार के ऊपर आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है।
अदालत ने ट्रक ड्राइवर, उसके मालिक और बीमा कंपनी को तलब किया। ट्रक के ड्राइवर और मालिक का तर्क था कि उन्हें इस मामले में गलत फंसाया गया है। बीमा कंपनी ने अदालत को बताया कि हादसे के वक्त ट्रक का बीमा था। अदालत ने ट्रक ड्राइवर और मालिक की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि इस हादसे के शिकार परिजनों के लिए यह जीवन भर की त्रासदी है और कोई भी राशि उनके आंसू नहीं पोंछ सकती है।
अदालत ने मृतकों के परिजनों को 1 करोड़ 4 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। मुआवजे की राशि से 62 लाख 77 हजार रुपये एक व्यक्ति की पत्नी , दो बच्चों और मृतक के माता – पिता को दी जाएगी , जबकि 41 लाख 17 हजार रुपये दूसरे मृतक की पत्नी , तीन बच्चों और मृतक की मां को मिलेगी।
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