सोमवार, 18 अगस्त 2014

क्या मांसाहार में कोई शक्ति है?


माँसाहार से आने वाले क्षणिक आवेश और उत्तेजना को उत्साह और शक्ति मान लिया जाता है। जबकि वह आवेग मात्र होता है विशिष्ट खोजों के द्वारा यह भी पता चला है कि जब किसी जानवर को मारा जाता है तब वह आतंक व वेदना से भयभीत हो जाता है उसका शरीर मरणांतक संघर्ष करता है परिणामस्वरूप उत्तेजक रसायन व हार्मोन उसके सारे शरीर में फैल जाते हैं और वे आवेशोत्पादक तत्व मांस के साथ उन व्यक्तियों के शरीर में पहुँचते हैं, जो उन्हें खाते हैं।

दिल्ली के राकलैंड अस्पताल की मुख्य डायटीशियन सुनीता कहती हैं कि माँसाहार के लिए जब पशुओं को काटा जाता है तो उनमें कुछ हार्मोनल बदलाव होते हैं। ये हार्मोनल प्रभाव माँसाहार का सेवन करने वालों के शरीर में भी पहुँच जाते हैं।

जीव या पशु संरचना पर ध्यान देने पर हम देखते हैं कि सर्वाधिक शक्तिशाली, परिश्रमी, व अधिक सहनशीलता वाले पशु जो लगातार कई दिन तक काम कर सकते हैं, जैसे हाथी, घोडा, बैल, ऊँट, आदि सब शाकाहारी होते हैं। इग्लेंड में परीक्षण करके देखा गया है कि स्वाभाविक माँसाहारी शिकारी कुत्तों को भी जब शाकाहार पर रखा गया तो उनकी बर्दाश्त शक्ति व क्षमता में वृद्धि हुई।
मांसाहार में कोई शक्ति नहीं, वह अल्पकालिक आवेश मात्र है।

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