शुक्रवार, 27 जून 2014

जेल से बेल पर निकले 915 कैदी फरार

पवन कुमार, नई दिल्ली
हत्या, लूट, अपहरण और डकैती की वारदातों में शामिल 915 खूंखार अपराधी दिल्ली और इसके आस-पास के इलाकों में खुली हवा में सांस ले रहे हैं। दिल्ली पुलिस के पास इसकी जानकारी भी है, मगर साथ में लाचारी भी है। पुलिस के पास इन अपराधियों की जन्म कुंडली तो है मगर, इन अपराधियों के पतों व अन्य जरूरी जानकारी नदारद है। पुलिस रिकार्ड में दर्ज 500 से ज्यादा अपराधियों के मकान व रिश्तेदारों के पते तक फर्जी पाए गए हैं। जिससे पुलिस अपराधियों का सुराग तक नहीं लगा पा रही है। ये सभी अपराधी दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद तिहाड़ जेल से निकले और फरार हो गए। इनमें गैंगस्टर नीरज बवाना, सत्यवान सोनू और कई ऐसे खूंखार अपराधियों के नाम शामिल हैं जो अपराध की दुनिया में पुलिस व लोगों के जी का जंजाल बने हुए हैं। इस चौंकाने वाले तथ्य का खुलासा जेल महानिदेशक की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में पेश की गई एक रिपोर्ट के माध्यम से किया गया है। यह रिपोर्ट एक मृत घोषित अपराधी राजवीर सिंह उर्फ छंगा के जीवित साबित होने के बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर पेश की गई है। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर व न्यायमूर्ति सुनीता गुप्ता की खंडपीठ ने उक्त मामले को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में सभी फरार अपराधियों का पता लगाए और उन्हें गिरफ्तार करे। इतना ही नहीं मामले में अपराधियों की जमानत देने वाले लोगों पर भी कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। इस संबंध में खंडपीठ ने पुलिस को एक विशेष रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है। अब इस मामले की सुनवाई 18 जुलाई को होगी।
जेल महानिदेशक की ओर से पेश की गई विशेष रिपोर्ट के माध्यम से बताया गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित हत्या के विभिन्न मामलों में वर्ष 1999 से लेकर अब तक 915 कैदी हाईकोर्ट से जमानत या पैरोल लेकर फरार हो चुके हैं। इनमें से 563 कैदी ऐसे हैं। जिनके फरार होने के बाद उनके मकान व रिश्तेदारों के पते तक फर्जी पाए गए हैं। ऐसे अपराधियों का पुलिस कोई सुराग नहीं लगा सकी है। यहां तक कि इन अपराधियों की जमानत देने वाले जमानती तक फरार हैं। वहीं, अन्य जो कैदी हैं, उनके मकान के पते तो ठीक हैं, मगर अपराधी फरार हैं।
हाईकोर्ट के समक्ष पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तर पश्चिमी और बाहरी दिल्ली में आतंक का पर्याय बने गैंगस्टर नीरज बवाना भी जमानत लेकर फरार हो गया था। इसके अतिरिक्त हत्या व फिरौती की विभिन्न वारदातों में शामिल बदमाश सुनील कुमार कालरा भी सितंबर 2012 से जमानत लेकर फरार है। लूटपाट व हत्या के कई मामलों में शामिल सत्यवान उर्फ सोनू गिरोह का मुखिया सोनी और बिजेंद्र यादव भी तिहाड़ से वर्ष 2011 में पैरोल पर रिहा हुए थे, मगर वापस नहीं लौटे।

यह था मामला
गाजियाबाद निवासी राजवीर सिंह उर्फ छंगा हत्या के एक मामले में जमानत लेकर फरार हो गया। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर व न्यायमूर्ति सुनीता गुप्ता की खंडपीठ के समक्ष एक दिन गाजियाबाद पुलिस ने मामले में छंगा का मृत्यु प्रमाण पत्र पेश किया। इस मामले में सरकारी वकील सुनील शर्मा को संदेह हुआ। उनके आग्रह पर मामले की जांच की गई तो पाया गया कि छंगा मरा ही नहीं है। बल्कि किसी ओर को मार कर छंगा साबित कर दिया गया। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल अधीक्षक को उन सभी कैदियों की रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था जो जमानत या पैरोल पर जेल से निकले और फरार हो गए और उनके मामले हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं।
साभार – दैनिक जागरण

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