प्रसार भारती की एक एंकर की अयोग्यता पर बहस हो रही है। माना कि लड़की से भूल हुई या वह अयोग्य ही है, तो इसका क्या मतलब कि उसकी सोशल मीडिया पर धज्जियां उडाई जाएं? और अवसाद में उसे डाला जाए ?
प्रसार भारती जाय भाड़ में। इससे ज्यादा मूल्यवान उस महिला एंकर का जीवन है। बहुत विद्वान प्रसार भारती में घुस भी जायेंगे तो देश और समाज के लिए क्या उखाड़ कर दे देंगे, यह हमें भी पता है ?
उस एंकर का भी भविष्य है। सपने और संघर्ष हैं। ’गवर्नर ऑफ़ इंडिया‘ बोल देने पर एक पंक्ति का खेद प्रसारित किया जा सकता था। इसके लिए उस लड़की के अस्तित्व से खेलना ठीक नहीं। सदियों बाद ये वंचित चहक और चमक रही है। अरे भाई करने दो इन्हें भूल ? उनकी भूल हमारी ही धूर्तई का नतीजा है।
प्रसार भारती में व्याप्त अराजकता पर आपको बोलने का हक़ है। इसके गुण – धर्म में सुधार हो, यह कौन नहीं चाहेगा ?
उस एंकर को अपराध के अनुपात में ही सजा मिलनी चाहिए। उनके साथ अब जो हो रहा है वह अपराध के करीब का मामला है।
यह एक बौद्धिक आतंकवाद है। बुद्धि के बल पर आतंक फ़ैलाने वाले कम बुद्धि वाले को ऐसे ही जीने नहीं देना चाहते ? कितनों के प्रयोग असफल होते हैं ? रॉकेट उड़ते के साथ ही फुस्स हो जाता है तो क्या वैज्ञानिक को मारने काटने दौड़ जाते हैं ?
इस बौद्धिक आतंक के खेल में हमारे भी परिजन शामिल हैं। यह हमारे लिए दुखद है। प्रसार भारती अयोग्य को भी योग्य बनाये। फिटेस्ट नहीं वीकेस्ट की सोचें। उन्हें सहयोग दें। मार्गदर्शन दें ताकि अयोग्यतम की भी जीत हो सके।
O- बाबा विजयेंद्र
About The Author बाबा विजयेंद्र, लेखक स्वराज्य खबर के संपादक हैं।
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