शनिवार, 6 सितंबर 2014

सरकार के 100 दिन : ‘अच्छे दिनों’ की ओर पहला कदम

सिद्धार्थ शंकर गौतम
ललितपुर(उत्तरप्रदेश) में जन्‍मे सिद्धार्थजी ने स्कूली शिक्षा जामनगर (गुजरात) से प्राप्त की, ज़िन्दगी क्या है इसे पुणे (महाराष्ट्र) में जाना और जीना इंदौर/उज्जैन (मध्यप्रदेश) में सीखा। पढ़ाई-लिखाई से उन्‍हें छुटकारा मिला तो घुमक्कड़ी जीवन व्यतीत कर भारत को करीब से देखा। वर्तमान में उनका केन्‍द्र भोपाल (मध्यप्रदेश) है। पेशे से पत्रकार हैं, सो अपने आसपास जो भी घटित महसूसते हैं उसे कागज़ की कतरनों पर लेखन के माध्यम से उड़ेल देते हैं। राजनीति पसंदीदा विषय है किन्तु जब समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भान होता है तो सामाजिक विषयों पर भी जमकर लिखते हैं। वर्तमान में दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, हरिभूमि, पत्रिका, नवभारत, राज एक्सप्रेस, प्रदेश टुडे, राष्ट्रीय सहारा, जनसंदेश टाइम्स, डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट, सन्मार्ग, दैनिक दबंग दुनिया, स्वदेश, आचरण (सभी समाचार पत्र), हमसमवेत, एक्सप्रेस न्यूज़ (हिंदी भाषी न्यूज़ एजेंसी) सहित कई वेबसाइटों के लिए लेखन कार्य कर रहे हैं और आज भी उन्‍हें अपनी लेखनी में धार का इंतज़ार है।
http://www.pravakta.com/author/siddharthashankargautamgmail-com
पहली बार प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने 100 दिन पूरे कर लिए हैं।वैसे तो किसी भी नई-नवेली पार्टी की सरकार के कार्यों की समीक्षा हेतु 100 दिनों का समय काफी कम है, अतः समीक्षा नहीं ही होना चाहिए किन्तु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली के कारण इन 100 दिनों में भी सरकार की समीक्षा हो रही है।चूंकि मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान देश की जनता के समक्ष विकास और सुशासन का जिस तरह का खाका खींचा था और 100 दिनों में ‘अच्छे दिन‘ लाने का वादा किया था, उस लिहाज से यदि मोदी सरकार को वादों की कसौटी पर कसा जाए तो सरकार का प्रदर्शन संतोषजनक ही कहा जाएगा।वैसे भी यूपीए सरकार के दो कार्यकालों के दौरान जिस तरह लोकतांत्रिक मूल्यों का ह्रास हुआ, उसकी भरपाई में मोदी को वक़्त तो लगना ही है। हालांकि प्रधानमंत्री पद की कुर्सी संभालने के बाद नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट की दूसरी बैठक के बाद सरकार के कामकाज को रफ्तार देने के लिए सरकार का 10 सूत्री एजेंडा तय किया था और अपने मंत्रियों को ‘सुशासन, कार्यकुशलता और क्रियान्वयन‘ रखते हुए इसके हिसाब से काम करने का मंत्र दिया था।इसके साथ ही सभी मंत्रियों से कहा गया कि वे अपने मंत्रालय के लिए 100 दिनों का एजेंडा बनाएं और उस पर अमल करें।

प्रधानमंत्री ने मंत्रियों से कहा था कि मुख्य मुद्दा सुशासन है।इसके ऊपर प्राथमिकता से ध्यान दिया जाना चाहिए।इसके बाद डिलिवरी सिस्टम पर भी ध्यान देना होगा।उन्होंने कहा था कि राज्य सरकारों से जो चिट्ठियां आती हैं, उन्हें महत्व दिया जाना चाहिए।संसद और जनता के भी सुझावों पर ध्यान देकर समाधान करने का प्रयास करने की सीख भी दी गई थी।यह भी तय हुआ था कि प्रधानमंत्री मोदी मंत्रियों और सचिवों के साथ अलग-अलग बैठकें भी किया करेंगे।कैबिनेट की 2 बैठकों में मोदी ने जिस तरह सरकार के सभी सूत्र अपने हाथ में रखे और सुशासन को सर्वोपरि बताया, उससे यह संकेत भी गया कि अबकी बार मोदी सरकार से जनता को धोखा तो नहीं मिलेगा।

प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव नृपेन्द्र मिश्र ने भी मोदी की कार्यप्रणाली पर जोर देते हुए यह बताने की कोशिश की, कि मोदी अपनी सरकार की प्राथमिकताओं को पूरा करने लिए पूरी सरकारी मशीनरी को चुस्त करेंगे।यानि यह संकेत था कि मंत्रियों की टीम के बाद अब मोदी ब्यूरोक्रेसी में भी अपने हिसाब से बदलाव कर सकेंगे, क्योंकि वह अपने एजेंडे को लागू करवाने के लिए ब्यूरोक्रेसी पर बहुत अधिक निर्भर रहते हैं।मोदी ने हर विभाग के सचिव पद के लिए तीन संभावित नाम और उनके ट्रैक रेकॉर्ड तलब किए।यह भी तय हुआ कि मोदी की प्राथमिकता वाली योजनाओं को पूरा करने के लिए एक समयसीमा तय होगी।वहीं लंबे समय से अटकी अहम परियोजनाओं की अड़चनें दूर कर उन्हें रफ्तार देने पर ख़ास ध्यान दिया जाएगा।मंत्रियों को अपने निजी स्टॉफ में अपने रिश्तेदारों और संबंधियों को न रखने का सुझाव देकर मोदी ने यकीनन राजनीति में सुचिता की ओर पहला कदम बढ़ाया है।निजी माहतमों के होने से सरकार के कई काम प्रभावित होते हैं वहीं भ्रष्टाचार और परिवारवाद को भी बढ़ावा मिलता है।हालांकि अपने सुझाव में मोदी को मंत्रियों को यह हिदायत भी दे देनी चाहिए थी कि देशी-विदेशी सरकारी दौरों पर भी अपने परिवार को वे दूर ही रखें।चूंकि इस परिपाटी से सरकार पर सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगता है वहीं सरकार में शामिल मंत्रियों की संवेदनाओं पर सवालिया निशान लगाए जाते हैं।लिहाजा मोदी को इस परिपेक्ष्य में थोड़ा सख्त होना पड़ेगा।

देखा जाए तो 12 सालों के गुजरात में शासन के अनुभव ने मोदी को इतना राजनीतिक पांडित्य तो सिखा ही दिया है कि वे मंत्रियों, अधिकारियों और जनता की नब्ज़ पर हाथ रखकर अपनी नीतियों और कार्यों के क्रियान्वयन को साकार कर सकें।फिर मोदी की राज करने की नीति भी उनकी सोच को यथार्थ के धरातल पर उतारने का हौसला देती है।उसपर से पूर्ण बहुमत से सरकार गठन भी मोदी को स्वतंत्रता प्रदान कर रहा है जहां वे जनता से किए वादों को सच में तब्दील कर सकें।जिस गुजरात मॉडल का जिक्र वे अपनी जनसभाओं में किया करते थे, उसे देशभर में लागू करने का जिम्मा भी आखिर उन्हीं के कन्धों पर है।महत्वपूर्ण महकमों के हिसाब से अधिकारियों की नियुक्ति और उनसे काम करवाने की कला मोदी बखूबी जानते है।अत: यह विश्वास तो करना लाजमी हो जाता है कि यूपीए-2 की तरह लालफीताशाही मोदी को मौन मानने की गलती कभी नहीं करेगी।फिलहाल जिन मुद्दों को सर्वोपरि रखा गया है, उन्हें देखने से यह तो प्रतीत होता है कि सरकार की शुरुआत तो अच्छी हुई है।हां, इसका अंजाम क्या होगा यह तय करने के लिए सरकार के निर्णयों और कार्यों पर पैनी नज़र रखनी होगी।

मोदी सरकार के 10 अहम फैसले :

1. काले धन पर एसआईटी : एनडीए सरकार बनने के साथ ही मोदी ने विदेशों में जमा काले धन की वापसी के लिए एसआईटी के गठन का फैसला लिया।

2. नियुक्ति आयोग के गठन को मंजूरी : सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए मौजूदा कोलिजियम व्यवस्था को बदलकर नई व्यवस्था के तहत नियुक्ति आयोग के गठन को मंजूरी दी गई।

3. योजना आयोग भंग : स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से अपने संबोधन में 64 साल पुराने योजना आयोग को खत्म कर उसकी जगह नई व्यवस्था लाने का ऐलान किया।

4. महंगाई पर रोक के लिए कदम : महंगाई रोकने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने जरूरी खाद्य उत्पादों के लिए राष्ट्रीय खाद्य ग्रिड बनाने ऐलान किया है।

5. गंगा सफाई अभियान : गंगा सफाई को राष्ट्रीय मिशन का बनाने का मोदी ने न केवल ऐलान किया बल्कि इसके लिए बजट भी आवंटित कर दिया।

6. निर्मल भारत अभियान का ऐलान : मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में दो अक्टूबर से निर्मल भारत अभियान के शुरुआत की घोषणा की।

7. पर्यावरण की मंजूरी को ऑनलाइन सेवा : मोदी सरकार ने पर्यावरण मंजूरी के लिए ऑनलाइन सेवा शुरू की है ताकि मंत्रालयों के बीच आपसी लड़ाई खत्म हो और लोगों को इधर-उधर भटकना न पड़े।

8. जन-धन योजना : प्रधानमंत्री मोदी ने महात्वाकांक्षी जन-धन योजना की शुरुआत की। इस योजना के माध्यम से आर्थिक रूप से पिछड़े जिन परिवारों के पास बैंक खाता नहीं है उनके बैंक खाते खोले जा रहे हैं।

9. अफसरशाही पर नकेल : मोदी ने पीएमओ के अधिकारियों को समय पर कार्यालय आने, दफ्तर में साफ-सफाई आदि का पाठ पढ़ाया। अब मंत्री और वरिष्ठ नौकरशाह सीधे प्रधानमंत्री से निर्देश लेते हैं।

10. विदेश नीति : मोदी ने अपने शपथ ग्रहण में सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रण भेजकर संदेह दे दिया कि वह किस तरह के विदेश नीति के हिमायती हैं? उन्होंने सबसे पहले पाकिस्तान को दोस्ती का संदेश देने की कोशिश की।

अन्य अहम फैसले :

1. माई गवर्नमेंट पोर्टल की शुरुआत की।

2. डब्यूवर् टीओ ट्रेड डील पर हस्ताक्षर करने से इंकार।

3. बाल अपराधियों की उम्र सीमा कम की।

4. भारत में जापान 2.10 लाख करोड़ करेगा निवेश।

अंकों में बड़ी सफलता :

1. एक ही दिन में 1.5 करोड़ बैंक खाते खोले गए।

2. सीमा रक्षा और बीमा क्षेत्र में 49 फीसद एफडीआई।

3. सामुदायिक रेडियो के लिए 100 करोड़ रुपए आवंटित किए।

4. महिलाओं की सुरक्षा के लिए 11 फीसद बजट बढ़ाया। इस वर्ष 65 हजार, 745 करोड़ रुपए महिलाओं की सुरक्षा के लिए आवंटित किए जाएंगे।

5. 100 स्मार्ट शहर बनाने के लिए 7 हजार, 60 करोड़ रुपए आवंटित किए।

6. 14 आईआईटी, आईआईएम और एम्स स्थापित किए जाएंगे।

7. 2.5 लाख रुपए की कर में छूट।

8. 5.7 फीसद जीडीपी की वृद्धि दर रही अप्रैल से जून के बीच तिमाही में।

इन चर्चित मुद्दों पर मोदी सरकार की दृढ़ता :

1. राजनाथ सिंह के खिलाफ प्रदर्शन, पीएमओ ने‍ किया बचाव।

2. यूपीए द्वारा नियुक्त राज्यपालों की जगह नए राज्यपालों की नियुक्ति।

3. विधायक संगीत सोम को जेड श्रेणी की सुरक्षा देना।

4. न्यायाधीशों की नियुक्ति पर नजर।

5. गोपाल सुब्रमण्याम बनान सरकार विवाद।

6. नेता विपक्ष के मुद्दे पर रस्सारकशी।

7. यूपीएससी परीक्षा को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान निर्णय।

8. मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी की शैक्षणिक योग्यता पर उठे सवाल के दौरान दृढ़ता।

इन योजनाओं की हुई शुरुआत :

1. गरीबों के लिए भी बैंकिंग सेवा।

2. एक गांव को गोद।

3. डिजिटल युग में प्रवेश।

4. कुशल कर्मचारियों पर जोर।

5. भारत में उत्पादन के लिए कदम उठाना।

6. स्वच्छ‍ भारत अभियान की शुरूआत।

7. सभी स्कू‍लों में शौचालय बनाना।

8. ‘नमामि गंगे’ अभियान की शुरुआत।

9. गरीबी को हराना।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें