रविवार, 8 दिसंबर 2013

अनुच्छेद अड़ंगा नहीं विकास में

कश्मीर एक बार फिर र्चचाओं में है। इस बार र्चचा के बिंदु का केंद्र यहां की खूबसूरत वादियां, बुनियादी विकास या फिर आतंकवाद नहीं बल्कि अनुच्छेद 370 है। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने इस अनुच्छेद पर पुनर्विचार की मांग करके इस मुद्दे को फिर से गरमा दिया है। भाजपा इसको प्रचारित कर रही है कि अनुच्छेद 370 लागू होने के कारण जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक गतिविधियां नहीं पनप पा रही हैं। इसलिए यह विकास के मामले में अपने पड़ोसी राज्यों के साथ कदमताल नहीं कर पा रहा है। असली तस्वीर पेश करने के लिए हस्तक्षेप की तरफ से देवेन्द्र शर्मा ने उद्योग मंडल पीएचडी चैम्बर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष सु मन ज्योति खेतान से बातचीत की। श्री खेतान ने जम्मू-कश्मीर के औद्योगिक परिदृश्य पर एक रिपोर्ट भी तैयार की है। यहां पेश है बातचीत के संक्षिप्त अंश

अनुच्छेद 370 को लेकर जम्मू-कश्मीर फिर से र्चचाओं में है। इस अनुच्छेद के कारण राज्य के औद्योगिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? किसी भी राज्य में औद्योगिक विकास के लिए कानून और व्यवस्था का मजबूत होना बहुत जरूरी है। यदि उद्यमियों को अनुकूल माहौल मिलेगा तो वह निश्चित तौर पर निवेश करेंगे। पर जम्मू-कश्मीर को लेकर उछाला गया अनुच्छेद 370 मुद्दा सिर्फ राजनीतिक है। इसका औद्योगिक विकास से कोई लेना-देना नहीं है। यदि ऐसा होता तो यहां कोई भी उद्योग नहीं लग पाता। फिलहाल यहां कई उद्योग अच्छा-खासा कारोबार कर रहे हैं। इसके अलावा, कई बड़ी सरकारी और निजी क्षेत्र की परियोजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। इसलिए तथ्यों के आधार पर मेरा मानना है कि अनुच्छेद 370 का मुद्दा सिर्फ राजनीतिक है। क्या इस अनुच्छेद के कारण यहां उद्योग लगाने में कोई बाधा नहीं है? इसमें कोई दोराय नहीं कि यहां कोई भी उद्योगपति सीधे जमीन खरीदकर अपनी यूनिट नहीं लगा सकता है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि वह उद्योग लगा ही नहीं सकता। अन्य राज्यों की तुलना में यहां उद्योग लगाने की प्रक्रिया थोड़ी अलग है। यदि आप यहां कोई संयंत्र स्थापित करना चाहते हैं तो सबसे पहले सरकार से मंजूरी लेनी होगी। इसके बाद सरकार लीज पर जमीन देगी जिसकी अवधि 90 साल तक की हो सकती है। उद्योग लगाने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए किसी स्थानीय नागरिक को साझीदार बनाया जा सकता है। जम्मू-कश्मीर में फिलहाल उद्योग-धंधों की क्या स्थिति है? राज्य की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां पड़ोसी राज्य पंजाब की तरह उद्योग धंधे विकसित नहीं हो सकते। पहाड़ी क्षेत्र और बड़े भू-भाग के बर्फ से ढंके रहने के कारण यहां सभी तरह के उद्योग-धंधे विकसित नहीं किए जा सकते। टूरिज्म यहां का सबसे आर्कषक और विशाल सेक्टर है। फिलहाल राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसका अहम योगदान है। इस क्षेत्र में विस्तार की व्यापक सम्भावनाएं हैं। इसके लिए राज्य सरकार को पर्यटकों के मन से सुरक्षा सम्बन्धी भय को निकालना होगा। यदि सरकार इस दिशा में कामयाब हो जाती है तो यह पहाड़ी राज्य तेजी के साथ विकास कर सकता है। मौजूदा स्थिति में राज्य की अर्थव्यवस्था में किनकिन क्षेत्रों का विशेष योगदान है? फिलहाल यहां की अर्थव्यवस्था पारंपरिक व्यवसाय खेती, पशुपालन, हैंडलूम, हस्तशिल्प और बागवानी पर केंद्रित है। यहां की 65 फीसद से ज्यादा आबादी खेतीबाड़ी पर ही निर्भर है। देश में सेब की कुल पैदावार में राज्य का करीब 77 फीसद का योगदान है। यहां अखरोट का भी बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। इन दोनों जिंसों के निर्यात से राज्य की अर्थव्यवस्था को अच्छी मजबूती मिलती है। इसी के दृष्टिगत जम्मू-कश्मीर को सेब और अखरोट के लिए ‘एग्री एक्सपोर्ट जोन’ घोषित किया गया है। राज्य की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहां और किस तरह उद्योग-धंधे सफल हो सकते हैं? राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2004 में नई उद्योग नीति लागू की गई थी। इसका नीति का उद्देश्य राज्य में उद्योगों के अनुकल ढांचा विकसित करने और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना था। इसके तहत राज्य में नए उद्योगों के लिए प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। राज्य की यह योजना किसी हद तक सफल भी होती दिख रही है। राज्य में नदियों का जाल बिछा हुआ है। जाहिर तौर पर यहां हाइड्रो पावर के क्षेत्र में व्यापक सम्भावनाएं हैं। इस क्षेत्र में यहां कई बड़ी परियोजनाओं पर काम चल रहा है। यदि सूबे में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों का सुनियोजित तरीके से दोहन जाए तो जम्मू-कश्मीर जल्द ही एक समृद्ध राज्य बन सकता है। आपकी नजर में राज्य में औद्योगिक विकास के लिए किस सरकार ने बेहतर काम किया? पीएचडी चैम्बर का उद्देश्य देश में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। ऐसे में हम किसी भी राजनीतिक पचड़े में नहीं पड़ना चाहते। राज्य के विकास का दायित्व राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसियों का है। फिलहाल आरोप-प्रत्यारोपों के बजाय यहां मजबूत आधारभूत ढांचा विकसित करने की जरूरत जिससे यहां ज्यादा से ज्यादा निवेश आकर्षित हो सके। यदि यहां के लोगों को भरपूर रोजगार मिलेंगे तो राज्य की ज्यादातर समस्याएं स्वत: ही समाप्त हो जाएंगी।

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