गुरुवार, 12 जून 2014

किसान का लाल, बना मिसाल (सुभाष चंद्र दुबे)


सोनभद्र से  नौशाद   अंसारी/मनमोहन शुक्ल(आवाज़-ए-हिंद.इन)

ईमानदारी कि राह पर चलकर कामयाबी पाना मुश्किल जरुर होता है लेकिन नामुमकिन नहीं। और ईमानदार कामयाबी का बेहद खूबसूरत ईनाम यह होता है कि इसकी रौशनी से न केवल खुद का अंधेरा खत्म होता है बल्कि औरों को भी प्रेरणा मिलती है, ईमानदारी कि राह पर चलकर जिंदगी संवारने की। अफसोस दुनियाँ में ऐसे कम लोग होते हैं जो ईमानदारी कि राह पर चलकर दुसरों के लिए मिसाल कायम कर अपना मुकाम और पहचान बनाने में कामयाब हो पाते हैं।

किसी ने सच ही कहा है के “कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता ------एक पत्थर तबियत से उछालो यारो"इस बात का जीता जागता मिसाल है उत्तर प्रदेश के 2005 बैच के तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी सुभाष चंद्र दुबे जो वर्तमान समय में अपनी सेवा सोनभद्र जनपद में दे रहें हैं। अपने सख्त फैसले और आम लोगों के दु:ख दर्द को गंभीरता से लेकर उचित कर्रवाई कर सोनभद्र जिले के आवाम में नई उम्मीद कि किरण जगा दी,जिससे न केवल लोगों के मन में कानून के प्रति यकीन बढा बल्कि कानून के रखवाले के प्रति सम्मान भी बढा।

संक्षिप्त परिचय
श्री दुबे का जिंदगी काफी मुश्किल भरा रहा है बावजूद मुश्किलों के उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आम जनता और देश के लिए कुछ करने का जज़्बा ही उन्हें कड़ी मेहनत करने का हौंसला देता रहा। प्रारंभिक शिक्षा सुल्तानपुर जनपद के लंभुआ तहसील जैसे छोटे से गांव में हुई। ग्रामीण वातावरण मे बचपन बीता और यहीं रहकर प्राइमरी से लेकर इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की। बाद में उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद आ गए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी बिना किसी कोचिंग के अपने आत्मविश़्वास और लगन से शुरु की। और इसी लगन और कड़ी मेहनत की बदौलत उन्हें 2005में आईपीएस परीक्षा में सफलता मिली।

शिष्टाचार और उच्च विचार के धनी।
ग्रामीण परिवेश में पले बढे श्री दुबे का मानना है कि यदि पुलिस जनता से शिष्टता व विनम्रतासे पेश आए तो पुलिस के आलोचक कम हो जाएंगे। पुलिस अधिकारी व कर्मचारी इस रूपमें जनता से व्यवहार करे मानो सामने खड़ा व्यक्ति उसका अपना पिता,भाई, बेटा, महिला उसकी अपनी मां,बहन,या बेटी है,और यदि वह स्वयं पुलिसवाला न होता,तो पीड़ित व्यक्तिके रूप मेंअपने साथ पुलिसथाने में किस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा करता यदि इस तथ्य को वह हृदय से महसूस करके अपने दायित्वों का निर्वहन कर सके। तो निश्चित रूपसे उससे कभी कोई गलत कार्य नहीं होगा। मेरे परिवार में मेरेमाता-पिता,पत्नी,एक भाई व तीन बहनें है।मेरे पिता किसान व मां तथा पत्नी गृहणी है।मुझे मेरे दायित्वोंको निभाने में मेरे परिवार से नैतिक संबल प्राप्त होता है, जो मेरे लिए सदैव प्रेरणा का कार्यकरता है।

जनपद सोनभद्र के आवाम के लिए संदेश

श्री दुबे ने कहा कि जनपद पुलिस में जो लोगभ्रष्ट है और जिन्होंने अपने पद का दुरूपयोग कर अवैध कमाई/वसूली करना अपना धर्म बना लिया है,ऐसे लोगों के गलत कार्यो की खबर मिलने पर उनके विरूद्ध कठोरतम वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। जनता से मेरी अपील है कि वह पुलिस केअच्छे कार्यो में उनका साथ दें और किसी भी प्रकार की उनकी गलतियों को मेरे संज्ञान में व्यक्तिगत रूप से लाएं,ताकि दोषी पुलिसकर्मियों को दंडित व अच्छे पुलिसकर्मियों को पुरस्कृत किया जा सके।

सफलता की मिसाल
कहते हैं कुछ लोग अपनी मंजिल पाने के लिए अपना रस्ता स्वयं बना लेते हैं यह बात श्री दुबे के लिए बिलकुल सटीक लगती है क्योंकि सोनभद्र जनपद का पदभार ग्रहण करते ही उन्होंने ऐसा चक्रव्यूह रचा की नक्सलियो की कमर तोड़ने में समय नहीं लगा और हार्डकोर कुख्यात नक्सली 3लाख का इनामी लालव्रत कोल मुन्ना विश्वकर्मा सहित कई नक्सलियो को पकड़ने में सफलता मिली। सपा के छात्र नेता और युवा वकील अंशु राय हत्याकांड का खुलासा किया ,बीजपुर क्षेत्र में शिक्षिका की हत्या का पर्दाफाश किया,सुकृत की ग्राम प्रधान धनु देवी की हत्या का भी खुलासा किया 

सम्मान
श्री दुबे इससे पहले रमाबाई नगर में तैनात थे वहां उनके द्वारा चुनाव के समय कानून व्यवस्था को सही बनाए रखने के लिए भारतीय चुनाव आयोग के डॉ एस वाय .कुरैशी द्वारा और मुख्य चुनाव अधिकारी उत्तर प्रदेश के उमेश सिन्हा द्वारा उनको प्रशस्ति पत्र मिला

 
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