मीडिया स्टडीज ग्रुप का सरकारी हिंदी वेबसाइट का सर्वेक्षण
14 सितम्बर हिन्दी को राजभाषा बनाने का दिन है। हिन्दी इस देश की राजभाषा है। कुछ साइनबोर्डों को देखने से ऐसा अहसास होता है कि इस देश की एक भाषा यह भी है। राजभाषा के रूप में हिन्दी कैसी है इसे समझने के लिए सरकारी वैबसाइटों को देखना रोचक होगा। मीडिया स्टडीज़ ग्रुप ने इसका सर्वक्षण किया है, जिसके निष्कर्ष हिन्दी की कहानी बयाँ करते हैं।
सरकार की वेबसाइटों पर हिंदी की घोर उपेक्षा दिखाई देती है। हिंदी को लेकर भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय, विभाग व संस्थान के साथ संसद की वेबसाइटों के एक सर्वेक्षण से यह आभास मिलता है कि सरकार को हिंदी की कतई परवाह नहीं हैं। सर्वेक्षण में शामिल वेबसाइटों के आधार पर यह दावा किया जा सकता है कि हिंदी भाषियों के एक भी मुकम्मल सरकारी वेबसाइट नहीं हैं।अंग्रेजी के मुकाबले तो हिंदी की वेबसाइट कहीं नहीं टिकती है। हिंदी के नाम पर जो वेबसाइट है भी,वे भाषागत अशुद्धियों से आमतौर पर भरी हैं। हिंदी के नाम पर अंग्रेजी का देवनागरीकरण मिलता हैं। हिंदी की वेबसाइट या तो खुलती नहीं है। बहुत मुश्किल से कोई वेबसाइट खुलती है तो ज्यादातर में अंग्रेजी में ही सामग्री मिलती है। रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट का हिंदी रूपांतरण करने के लिए उसे गूगल ट्रासलेंशन से जोड़ दिया गया है।
मीडिया स्टडीज ग्रुप ने सरकारी हिंदी बेवसाइट का नियमित आधार पर अध्ययन करने का निर्णय किया है। हिंदी वेबसाइट का एक एक कर अध्ययन किया जाएगा और उसकी जानकारी सार्वजनिक किए जाने के साथ संबंधित विभाग व अधिकारियों को भी भेजी जाएगी। मीडिया स्टडीज ग्रुप ने इस अध्ययन के लिए एक टीम का गठन किया है। मीडिया स्टडीज ग्रुप संप्रेषण (कम्युनिकेशन), मीडिया और पत्रकारिता विषयों पर सर्वे, शोध व अध्ययन करता है और अपनी दो मासिक शोध पत्रिकाओं ‘जन मीडिया’ (हिंदी) और अंग्रेजी में ‘मास मीडिया’ में सर्वे, शोध व अध्ययन प्रकाशित करता है। यह ग्रुप किसी भी तरह की सहायता किसी तरह की संस्था व व्यक्ति से नहीं लेता है। यह पत्रकारों व मीडियाकर्मियों के सहयोग से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करता है।
हिंदी की वेबसाइट के सर्वेक्षण का प्रारूप ग्रुप के चेयरमैन अनिल चमड़िया ने तैयार किया और विनीत उत्पल, विजय प्रताप, अवनीश कुमार व पूर्णिमा उरांव ने आंकड़ा संकलन और विश्लेषण किया है।
सर्वे तकनीक-
भारत में हिंदी को 14 सिंतबर 1949 को राजभाषा का दर्जा दिया गया। इसके बाद राजभाषा अधिनियम 1963 और फिर राजभाषा नियम 1976 बनाया गया जिसके तहत केंद्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों, कार्यालयों, सार्वजनिक उपक्रमों व अन्य संस्थाओं में हिंदी में कामकाज को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। इसी कड़ी में मंत्रालयों, विभागों और केन्द्र सरकार की अन्य संस्थाओं की वेबसाइटों को हिंदी में भी शुरू करने का दावा किया गया है। इन वेबसाइटों की हिंदी में स्थिति का आंकलन करने के लिए किए गए इस सर्वे में कुछ वेबसाइट को नमूने के तौर पर संयोगी (Randomly) तरीके से चुन लिया गया। इन साइट का चुनाव करते समय कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखा गया। इसमें एक तो उन मंत्रालय या विभागों और संस्थाओं की साइट को प्राथमिक तौर पर चुना गया जिससे बहुसंख्यक लोगों का हित जुड़ा होता है। दूसरा उन विषयों से जुड़े वेबसाइट का चुनाव किया गया जो विषय आधुनिक विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। मसलन इसके लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, ग्रामीण विकास, कृषि, वित्त, वाणिज्य और रेलवे की साइटों को सर्वे के लिए नमूने के तौर पर लिया गया है। ऐसी साइटों के केवल अंग्रेजी में होने का अर्थ है कि भाषा की वजह से केवल हिंदी भाषा जानने वाले लोग उससे कोई जानकारी नहीं प्राप्त कर सकते। मानवाधिकार, महिला, दलित, पिछड़े वर्गों के हितों से सीधे जुडे मंत्रालय, विभागों या संस्थाओं की वेबसाइटों को भी सर्वे में शामिल किया गया है। विकास और संचार को आगे बढ़ाने वाली संस्थाओं और विभाग को सर्वे में शामिल करने का एक मकसद उसमें आम आदमी की हिस्सेदारी को समझना भी है। चुने गए वेबसाइटों की हिंदी में उपलब्धता और हिंदी में दी गई जानकारी का अंग्रेजी की वेबसाइट से तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। सर्वे के लिए वेबसाइटों से संबंधित आंकड़े 8-13 सितंबर 2012 के बीच एकत्रित किए गए हैं।
सर्वे में शामिल वेबसाइटों का विश्लेषण
प्रधानमंत्री कार्यालय
प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट मूल रूप से अंग्रेजी में है, जिसे हिंदी में भी देखने का विकल्प मौजूद है। हिंदी की वेबसाइट पर अंग्रेजी की साइट जितने ही लिंक मौजूद हैं, लेकिन उसमें दी गई जानकारियां अंग्रेजी के मुकाबले कम हैं। कई सारे लिंकों में कोई जानकारी नहीं और वो खाली पड़ी हैं जबकि उसी लिंक पर अंग्रेजी की वेबसाइट पर कई सारी जानकारियां दी गई हैं। हिंदी की वेबसाइट पर वर्तनी और भाषा की ढेरों अशुद्धियां हैं, यहां हिंदी साइट पर तक की प्रधानमंत्री का जो परिचय दिया गया है उसमें भी बहुत गलतियां हैं। पीएमओ की हिंदी वेबसाइट के बारे में संक्षिप्त विश्लेषण कुछ इस तरह से है -
· हिंदी साइट पर समितियां/परिषद का लिंक खाली पड़ा है, जबकि अंग्रेजी की साइट पर इसमें 9 समितियों के लिंक दिए गए हैं।
· अंग्रेजी की साइट पर रिपोर्ट कॉलम में 10 रिपोर्ट का लिंक दिया गया है जबकि हिंदी की साइट पर इसी के रुपांतरण ‘प्रतिवेदन’ कॉलम में केवल 4 रिपोर्ट का लिंक है। हिंदी की सभी रिपोर्ट अंग्रेजी से अनूदित हैं।
· अंग्रेजी साइट पर इंटरव्यू कॉलम में प्रधानमंत्री के मीडिया के साथ 7 इंटरव्यू का लिंक दिया गया है, जबकि हिंदी की साइट पर ‘साक्षात्कार’ कॉलम में केवल एक लिंक है जो कि हिंदुस्तान टाइम्स को प्रधानमंत्री `द्वारा दिए गए साक्षात्कार का हिंदी रुपांतरण है।
· हिंदी की साइट में ‘प्रधानमंत्री की टीम’ और ‘प्रधानमंत्री कार्यालय’ का लिंक पूरी तरह से खाली है। अंग्रेजी में प्रधानमंत्री की टीम के सदस्यों की सूची, उनके पदनाम, वेतन, फोन नं सहित दिया गया है। इसी तरह से प्रधानमंत्री कार्यालय में तैनात अधिकारियों भी सूची पदनाम और नंबर सहित केवल अंग्रेजी में दी गई है। इसे हिंदी में देखने के लिए देर तक इंतजार करने के बाद भी कुछ नहीं आता। ‘प्रधानमंत्री कार्यालय’ के अंतर्गत ही ‘कर्तव्य’ और ‘निविदा/स्थितियां’ का कॉलम खाली है। सूचना का अधिकार कॉलम में एक लिंक दिया गया है जबकि अंग्रेजी में इस कॉलम में 13 लिंकों पर सामग्री दी गई है।
· इसी तरह से हिंदी की साइट पर ‘प्रधानमंत्री के दौरे’ में दो लिंक दिए गए हैं-अंतरराष्ट्रीय दौरे और घरेलू दौरे। दोनों ही लिंकों पर क्लिक करने पर कुछ नहीं आता और अंग्रेजी में देखने का विकल्प दिखता है। अंग्रेजी की साइट पर इन दोनों ही लिंकों पर प्रधानमंत्री के दौरे से संबंधित जानकारियां मौजूद हैं।
· ‘घटनाक्रम’ का कॉलम खाली पड़ा है जबकि अंग्रेजी में इस कॉलम में पांच लिंकों पर जानकारियां मौजूद हैं।
· संसद में प्रधानमंत्री के वक्तव्यों की सूचना दोनों ही वेबसाइटों पर उपलब्ध है।
· प्रधानमंत्री कोष की जानकारी दोनों भाषाओं में है।
· अंग्रेजी और हिंदी दोनों ही साइटों पर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष की अलग वेबसाइट का लिंक दिया गया है, लेकिन यह वेबसाइट केवल अंग्रेजी में है।
गृह मंत्रालय
'नया क्या है" विकल्प अपडेट नहीं है, जबकि अंग्रेजी साइट लगातार अपडेट हो रही है। 2010 के बाद यहां हिंदी में कोई प्रेस रिलीज नहीं है जबकि अंग्रेजी में सात सितम्बर, 2012 को भी प्रेस रिलीज अपडेट की गई है। हालांकि ये अपडेट पीआईबी के लिंक से जुड़ा हुआ है।
लोकसभा
- लोकसभा की वेबसाइट में अंग्रेजी की वेबसाइट हिंदी की तुलना में बहुत समृद्ध है। उदाहरण के तौर पर लोकसभा के अधीन विभागों से संबंद्ध स्थायी 16 समितियों के प्रतिवेदन को ले सकते हैं। सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग से संबंद्ध स्थायी सीमित के चौहदवीं लोकसभा के दौरान 37 प्रतिवेदन अंग्रेजी की वेबसाइट पर है जबकि हिंदी में तेरहवीं, चौदहवी और 15वीं लोकसभा के प्रतिवेदन के बारे में हिंदी की वेबसाइट पर लिखा आता है कि Report is awaited .
पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस समिति के प्रतिवेदन के संबंध में भी हिंदी की वेबसाइट पर लिखा है - Report is awaited
कृषि- वही
रसायन एवं उर्वरक- वही
रक्षा –वही (Report is awaited)
कोयला व इस्पात समिति के 15वीं लोकसभा के दौरान के तीन प्रतिवेदन हिंदी की वेबसाइट पर है जबकि तेरहवीं और चौदहवीं लोकसभा के प्रतिवेदन के संबंध में आता है- Report is awaited. 15वीं लोकसभा के दौरान के 26 प्रतिवेदन अंग्रेजी के वेबसाइट पर हैं।
उर्जा –हिंदी की साइट पर 15 वीं लोकसभा के 6 प्रतिवेदन है लेकिन नंबर में दस दिखते हैं।1,2,3 के बाद 4,5,6 की जगह 8,9,10 की संख्या दिखती है। अंग्रेजी में रिपोर्ट की संख्या 30 हैं।
विदेश- अंग्रेजी की वेबसाइट पर 17 रिपोर्ट हैं जबकि हिंदी में आठ प्रतिवेदन हैं। जो प्रतिवेदन हैं वे अनुदान की मांग हैं।
(दूसरी समितियों के प्रतिवदेन के बारे में ये कहा जा सकता है कि हिंदी की साइट पर जो प्रतिवेदन है वे आमतौर पर अनुदान की मांगों के ही प्रतिवेदन हैं।)
वित्त- वही (Report is awaited)
खाद्य उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण- वही
श्रम- वही
रेल –वही
ग्रामीण विकास विभाग- वही
शहरी विकास- वही
जल संसाधन- हिंदी की वेबसाइट पर एक प्रतिवेदन है और अंग्रेजी की वेबसाइट पर 14 प्रतिवेदन है।
- साइट मैप, एफएक्यू, आरटीआई, डिस्किलेमर जैसे शब्दों का हिंदी में अर्थ नहीं है लोकसभा के पास। हिंदी साइट अपडेट भी नहीं है।
राज्यसभा
- हिंदी में प्रेस रिलीज की संख्या कम है। इस साल अंग्रेजी की साइट पर 9 जनवरी, 17 अप्रैल, 30 अप्रैल, 18 मई और 6 जून को प्रेस रिलीज अपलोड की गई जबकि हिंदी में 19 मार्च, 17 अप्रैल, 18 मई, 6 जून को प्रेस रिलीज अपडेट की गई।
- राज्यसभा की हिंदी वेबसाइट के बारे में भी हमारी लगभग वही राय है जो लोकसभा की हिंदी वेबसाइट को लेकर है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
- मंत्रालय की हिंदी वेबसाइट पर हिंदी में प्रेस विज्ञप्तियों का स्क्रॉल नहीं चल रहा है जबकि अंग्रेजी में इसकी स्थिति ठीक है।
- कई कॉलम केवल अंग्रेजी साइट पर है हिंदी में नहीं है। जैसे अंग्रेजी की साइट पर पब्लिक ग्रीवांसेस़ इंडिया डॉट गोव डॉट इन, इनवेस्ट इंडिया,बिजनेस प्लॉनिंग, और विजिटर समरी ( ये शब्द अंग्रेजी में वेबसाइट पर लिखे हैं। ) का लिंक दिखाई देता है। हिंदी की साइट पर सिर्फ इंडिया डॉट गोव डॉट इन और 'व्यापार योजना" का लिंक है।
- अंग्रेजी की साइट पर एक्सपर्ट/इम्पोर्ट से संबंधित डाटा ग्राफ के जरिए दिखाये गए हैं और इससे संबंधित तस्वीरें स्क्रॉल होती हैं जबकि हिंदी के वेबसाइट पर यह नहीं है।
- अंग्रेजी के साइट पर ‘व्हाट्स न्यू’ लगातार अपडेट हो रही है लेकिन हिंदी साइट पर नहीं।
- ज्वाइंट स्टेटमेंट एंड मिनट्स ऑफ मीटिंग का हिंदी अनुवाद संयुक्त वक्त्व एवम बैठकों के कार्यव्रत्त किया गया है। पोर्टल्स का हिंदी अनुवाद पोर्टालस् है। इस साइट पर काफी अशुद्धियां हैं। यहां अंग्रेजी शब्दों को देवनागरी में प्रयोग किया गया है। भारी-भरकम शब्दों का प्रयोग धड़ल्ले से किया गया है।
- अंग्रेजी की साइट पर जहां होम, कांटेक्ट अस, फोटो गैलरी, ग्लॉसी जैसे विकल्प हैं, वहीं हिंदी में ये नदारद हैं। अंग्रेजी साइट पर टर्म एंड कंडीशन्स,कॉपीराइट पॉलिसी, हाइपरलिंक पॉलिसी, प्राइवेसी पॉलिसी, साइटमैप आदि हैं लेकिन हिंदी वेबसाइट पर ये नहीं दिखते।
- राष्ट्रीय व्यापार के तहत विशेष आर्थिक जोन पर क्लिक करेंगे तो ‘सेजइंडिया डॉट गोव डॉट इन’ का लिंक आएगा जो पूरी तरह अंग्रेजी में है।
कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय
- अंग्रेजी की साइट पर जो हाइलाइटर और नई सामग्री है वह हिंदी साइट पर भी अंग्रेजी में ही है।
- कॉरपोरेट का हिंदी शब्द क्या होगा, मंत्रालय को नहीं पता। इसलिए हर जगह कॉरपोरेट शब्द का प्रयोग किया गया है। इस साइट का प्रबंधन टाटा कंस्लटेंसी सर्विस के द्वारा किया जाता है।
- हिंदी साइट पर प्रधानमंत्री का भाषण अंग्रेजी में है जो उन्होंने आईएमटी मानेसर में 13 अप्रैल, 2012 को दिया था। कॉरपोरेट कार्यमंत्री वीरप्पा मोइली का भाषण अंग्रेजी में ही है। इन भाषणों का हिंदी अनुवाद कहीं नहीं है।
- सूचना, टिप्पणियां आमंत्रित ऐसे विकल्प हैं जहां सभी सूचनाएं अंग्रेजी में हैं। यहां रेगुलेटर का हिंदी अर्थ नियामक, इंट्रीग्रेटर का समाकलक,फेसिलिटेर का सुविधादाता और एडुकेटर का शिक्षक अनुवाद है।
- कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की हिंदी साइट पर 'सीएलबी", 'सीएटी6", आईसीएआई, आईसीएसआई, आईसीडब्ल्यूएआई, एसएफआईओ, सीसीआई,आईआईसीए, एनएफसीजी आदि के लिंक हैं जिसमें से आईसीडब्ल्यूएआई, आईसीएआई, एनएफसीजी, सीआईएम,, एससीएसआई आदि की हिंदी साइट है ही नहीं।
वित्त मंत्रालय
- मंत्रालय की हिंदी साइट पर सभी प्रेस विज्ञप्तियां अंग्रेजी में है। ताजा घटनाक्रम के तहत जो स्क्रॉल चल रहा है वह सभी अंग्रेजी में है।
- नेशनल समरी डाटा पेज का हिंदी रूपांतरण है ही नहीं।
- यह साइट राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के द्वारा तैयार की गई है।
- इस साइट पर भी भारी-भरकम शब्द, अशुद्धियां और अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग ज्यादा किया गया है। हिंदी साइट पर 'पोर्टल ऑफ पब्लिक ग्रीवांसेस" नाम से लिंक दिया गया है। इसी साइट पर 'इनवेस्ट इंडिया" का लिंक दिया है जो हिंदी में है ही नहीं। इसी साइट पर संबंधित मंत्री का संदेश है,वह भी अंग्रेजी में हैं।
- केंद्रीय बजट का विकल्प में 'मासिक आर्थिक रिपोर्ट" तो हिंदी में लिखा हुआ है लेकिन इसके लिंक पर जो सामग्री मिलती है वह अंग्रेजी में है।
- सभी महत्वपूर्ण आदेश अंग्रेजी में हैं।
सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय
- इसकी हिंदी साइट 7 सितम्बर, 2009 के बाद अपडेट नहीं हुई है। यह तारीख साइट में सबसे नीचे दिख रही है जबकि अंग्रेजी की अपडेट साइट हो रही है।
- अंग्रेजी की साइट पर ‘व्हाट्स न्यू’ का विकल्प है लेकिन हिंदी की साइट पर ऐसा कुछ भी नहीं है। इस साइट पर हिंदी की कोई भी फाइल आसानी से और जल्दी नहीं खुलती। अधिकतर फाइल पीडीएफ फार्मेट में है।
- कुछेक लिंकों पर हिंदी में दी गई सामग्री पुरानी पड़ चुकी हैं जैसे कि हिंदी की साइट पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के तौर पर यहां डॉ. बूटा सिंह का नाम दिखता है लेकिन मौजूदा अध्यक्ष पी.एल. पुनिया हैं। इसी तरह से पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष का नाम यहां न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) एस. पांड्यिन दर्ज है जबकि पिछड़ा वर्ग आयोग की वेबसाइट पर मौजूदा अध्यक्ष का नाम न्यायमूर्ति एम.एन. राव दर्ज है। बाकियों की तरह वर्तनी और भाषा की अशुद्धियां अनगिनत है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय
- अंग्रेजी साइट पर साइट के डेवलप और डिजाइन का अनुवाद हिंदी साइट पर 'और डिजाइन द्वारा विकसित की साइट राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र सामग्री प्रदान की ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा बनाए रखा, भारत का" किया गया है। यह अनुवाद है उस मंत्रालय की साइट पर जो भारत के गांवों की विकास की बात करता है।
- हिंदी साइट पर चीफ कंट्रोलर्स ऑफ एकाउंट्स कार्यालय के लिंक नहीं हैं जबकि अंग्रेजी साइट पर है।
- हिंदी साइट पर जिन निगरानी एजेंसियों के लिंक दिये गए हैं, उनमें से दो लिंकों पर तमाम जानकारियां अंग्रेजी में हैं।
- ग्रामीण भारत के लिए कई तरह की योजनाएं भारत सरकार चलाती हैं लेकिन अधिकतर योजनाओं मसलन, पूरा (PURA), इंदिरा आवास योजना,भारत निर्माण, एसईसीसेंसस-2011, मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना आदि की साइट हिंदी में नहीं है।
रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्रालय की हिंदी साइट गूगल ट्रांसलेटर पर लोड है और आप जब इस साइट पर जाएंगे तो आप जिस भाषा में जानकारी हासिल करना चाहते हैं, उसके लिए गूगल ट्रांसलेटर की मदद लेनी पड़ेगी। गूगल ट्रांसलेटर हिंदी में सही अनुवाद नहीं कर रहा है। मसलन रक्षा मंत्री एके एंटोनी का स्थायी पता तक गूगल अनुवाद सही ढंग से नहीं कर रहा है और तिरुवनंतपुरम से पहले पिनकोड लिखा गया है और पता ही नहीं चलता कि यह पिनकोड है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
कहने के लिए इस मंत्रालय की हिंदी वेबसाइट है लेकिन यहां सिर्फ ऊपर के कंटेंट के नाम को छोड़कर हिंदी में कुछ भी उपलब्ध नहीं है। चाहे प्रेस रिलीज हो या निविदा सूचना, हिंदी में नहीं है। साइट में सबसे ऊपर जो भी हिंदी में शब्द लिखे गए हैं, उनके हिज्जे गलत हैं।
दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI)
यह साइट पूरी तरह अंग्रेजी में है। हिंदी का कोई विकल्प नहीं है।
संचार एवं सूचना प्रॉद्योगिकी विभाग
इसकी हिंदी साइट पर भी अधिकतर जानकारी अंग्रेजी में है। नेवीगेशन, अभिगम्यता, स्क्रीन रीडर, संक्षिप्ति, थीम जैसे अंग्रेजी के शब्द देवनागरी में या फिर कठिन शब्दों का प्रयोग किया गया है। इस मंत्रालय की अंग्रेजी साइट जहां 29 अगस्त, 2012 को अपडेट हुई है वहीं हिंदी साइट 30 मई, 2012 के बाद अपडेट हुई ही नहीं है।
दूरसंचार विभाग
- अब्सोप्र्शन, पोर्टबिलिटी, अवसंरचना जैसे भारी-भरकम शब्द हैं तो अशुद्धियां मसलन संसथान, सिमित जैसे शब्द हैं।
- 'नया क्या है" नामक विकल्प में 23 अगस्त, 2010 की नियुक्तियां हैं। निविदाएं 23 जून, 2011 के बाद की नहीं है। हिंदी की वेबसाइट कई मामलों में अपडेट नहीं है। राष्ट्रीय में 'ष" अक्षर बदला हुआ है। अंग्रेजी साइट की तुलना में हिंदी साइट पर कम सामग्री है।
भारतीय डाक
मुख्य साइट पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों का विकल्प है लेकिन हिंदी में क्लिक करने पर होम, एवाउट अस, मेल सर्विस, प्रीमियम प्रोडक्ट, फाइनांसियल सर्विस,रिटेल सर्विस, कस्टमर केयर जैसे शब्द देवनागरी में लिखे हुए हैं, इसका हिंदी रूपांतरण नहीं है। इस साइट पर किसी भी तरह की जानकारी हिंदी में उपलब्ध नहीं है और लिंक देरी से खुलता है।
पर्यावरण एंव वन मंत्रालय
मंत्रालय की मूल अंग्रेजी वेबसाइट को हिंदी में भी देखने का विकल्प है। लेकिन हिंदी वेबसाइट महज दिखावटी है। हिंदी की साइट पर पहले पेज के अलावा और कोई जानकारी या लिंक हिंदी में नहीं खुलते, बल्कि वो देखने वाले को अंग्रेजी वेबसाइट पर ही पहुंचा देते हैं।
जनजातीय कार्य मंत्रायल
मंत्रालय की वेबसाइट खोलते ही हिंदी व अंग्रेजी का विकल्प सामने आता। हिंदी की वेबसाइट के पहले पेज पर हाईलाइट, विज्ञापनों और हेल्प डेस्क की सूचना अंग्रेजी में आती है। साइडबार में मौजूद 11 लिंक पर संबंधित जानकारियां हिंदी में आती हैं। हिंदी वेबसाइट पर वर्तनी की ढेर सारी अशुद्धियां हैं।
विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी विभाग
विभाग की वेबसाइट केवल अंग्रेजी में है। इस पर हिंदी के लिए कोई विकल्प नहीं है।
परिवार व स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय
मंत्रालय की वेबसाइट केवल अंग्रेजी में है।
अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की अंग्रेजी वेबसाइट पर हिंदी का विकल्प है, लेकिन उसे खोलने पर वहां भी सबकुछ अंग्रेजी में ही आता है।
कृषि एवं सहकारिता विभाग
विभाग की वेबसाइट केवल अंग्रेजी में है। हिंदी की अलग वेबसाइट नहीं है। अंग्रेजी साइट पर ही हिंदी का एक लिंक दिया गया है। यह लिंक खोलने पर पीडीएफ फाइल के रूप में इसका हिंदी अनुवाद आता है। इसमें अंग्रेजी की वेबसाइट पर दी गई नवीनतम जानकारियां/सूचनाएं/निविदाएं उपलब्ध नहीं है।
साहित्य अकादमी
- साहित्य अकादमी की वेबसाइट के मुख्य पृष्ठ पर देवनागरी लिपि में 'हूज हू" लिखा है। उसने नीचे स्पष्ट शब्दों में लिखा है, 'साहित्य अकादमी हूज हू ऑफ इंडियन राइटर्स" को संशोधित और परिवर्तित करने जा रही है। इस पर क्लिक करने पर पूरा प्रारुप अंग्रेजी में मिलेगा। मुख्य पृष्ठ पर ही रिक्रूमेंट अंग्रेजी में लिखा है जिसे क्लिक करने पर नियुक्ति संबंधी अधिसूचना आठ पृष्ठों में हैं। पहले अंग्रेजी फिर हिंदी में अधिसूचना है। हिंदी वाले प्रपत्र में सभी पदों के नीचे वेतनमान 'पे-बैंड" और 'ग्रेड-पे" लिखा हुआ है। इन शब्दों का हिंदी अर्थ है या नहीं।
- अंग्रेजी वेबसाइट पर जहां लेटेस्ट अवार्ड के तहत बाल साहित्य पुरस्कार, 2012, साहित्य अकादमी ट्रांसलेशन प्राइज 2011, साहित्य अकादमी अवार्ड2011 और साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2012 अंग्रेजी में लिखा हुआ है, वहीं हिंदी वेबसाइट में बाल पुरस्कार 2011 का सिर्फ विकल्प है। इस पर क्लिक करने पर बाल साहित्य बाल पुरस्कार 2011 की पूरी जानकारी अंग्रेजी में है।
- हिंदी वेबसाइट के मुख्य पृष्ठ के नीचे संपर्क और सूचना का अधिकार का विकल्प है और इन दोनों विकल्पों पर जाने पर तमाम जानकारी अंग्रेजी में उपलब्ध हैं क्योंकि हिंदी के इस पृष्ठ को अंग्रेजी वेबसाइट से जोड़ दिया गया है।
- इसी साइट पर 'नई सूचनाएं" नामक विकल्प है जहां पहला विकल्प बाल साहित्य पुरस्कार 2011 का स्क्रॉल चल रहा है और यहां भी जाने पर तमाम जानकारियां अंग्रेजी में है। इसके बाद वाले स्क्रॉल पर लिखा हुआ है, 'साहित्य अकादमी प्रकाशनों की नवीनतम सूची वेबसाइट पर उपलब्ध है। हमारी 24 भाषाओं के प्रकाशन की जानकारी के लिए क्लिक करें", यहां भी पुस्तकों की पूरी सूची अंग्रेजी में है।
एम्स
एम्स की हिंदी साइट पर प्रेस रिलीज अंग्रेजी में। कोई भी लिंक आसानी से नहीं खुलता और सर्वर उन कागजातों को ढूंढ नहीं पाता। अंग्रेजी साइट को आखिरी बार 31 जुलाई, 2012 को रिवाइज किया गया जबकि हिंदी को 26 मार्च, 2012 को किया गया है।
राजभाषा विभाग
इसकी अंग्रेजी और हिंदी साइट एक ही है। जहां अंग्रेजी के लिंक की सामग्री तो आसानी से खुल जाती है लेकिन हिंदी की साइट नहीं खुलती। हिंदी की सामग्रियों में काफी अशुद्धियां है। व्याकरण की भी और भाषा की भी।
आईआरसीटीसी
ऑन लाइन पैसंजर के होम पेज में अंग्रेजी शब्दों का देवनागरीकरण है। होम पेज के बाद आरटीआई के तहत दी गई जानकारी अंग्रेजी में हैं । हिंदी की वेबसाइट पर होम पेज के बाद अंदर आमतौर पर लिंक देर में खुलते हैं या अंग्रेजी में ही सामग्री मिलती है, जैसे की टूर पैकेज पर क्लिक करने पर पेज नॉट एवेलेबल बताता है या वेटलिस्ट ई टिकट योजना की जानकारी केवल अंग्रेजी में ही है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
मानवाधिकार आयोग की हिंदी वेबसाइट नहीं है। अंग्रेजी वेबसाइट को भी हिंदी में देखने के लिए कोई विकल्प नहीं है।
राष्ट्रीय महिला आयोग
महिला आयोग की भी हिंदी में वेबसाइट नहीं है। आयोग की मौजूद वेबसाइट पर भी हिंदी का विकल्प नहीं है।
अनुसूचित जाति आयोग
आयोग की हिंदी वेबसाइट नहीं है। अंग्रेजी में जो वेबसाइट उपलब्ध है उसमें हिंदी भाषा का कोई विकल्प मौजूद नहीं है। आयोग की ई-पत्रिका ‘अनुसूचित जाति वाणी’ के पहले अंक (जनवरी-मार्च 2012) में ‘राजभाषा हिंदीः एक सामान्य परिचय’ शीर्षक से अरुण कुमार विद्यार्थी का एक लेख प्रकाशित किया गया है, जिसमें राजभाषा हिंदी भाषा और सरकारी काम में उसके की चर्चा की गई है।
अनुसूचित जनजाति आयोग
जनजाति आयोग की अंग्रेजी वेबसाइट पर ही हिंदी की वेबसाइट का लिंक मौजूद है। हिंदी की वेबसाइट पर 22 लिंक मौजूद हैं, जिसमें से किसी को भी खोलने पर आप वापस अंग्रेजी की ही वेबसाइट पर पहुंच जाते हैं। हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही वेबसाइटों के पहले पेज पर आयोग के बारे में संक्षिप्त सूचना हिंदी और अंग्रेजी में दी गई है।
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