सोमवार, 18 अगस्त 2014

वादी के प्रति ज्यादा संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए



न्यायाधीशों को वादी के बारे में अपनी सोच को बदलते हुए उसकी परेशानियों के प्रति ज्यादा संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने कहा कि वादी समय से न्याय पाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाता है। संवेदनशीलता की कमी न्याय पाने के इच्छुक और न्याय देने वाले के बीच दूरियां बढ़ा देती है। लिहाजा, न्यायिक अधिकारियों को अपनी सोच बदलनी चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने एक मामले का हवाला देते हुए बताया कि किस तरह एक बच्ची को सड़क दुर्घटना में पैर खोने पर मुआवजा पाने के लिए सात साल लंबा इंतजार करना पड़ा।

‘एक्विटेबल एक्सेस टू जस्टिस’ सम्मेलन के दौरान न्यायमूर्ति कबीर ने कहा कि केवल भारत में ही बड़ी तादाद में मुकदमे लंबित नहीं हैं, बल्कि दुनिया भर में कुछ ऐसा ही हाल है। अब ज्यादातर देश मुकदमों को जल्दी निपटाने के लिए वैकल्पिक विवाद निस्तारण प्रणाली अपना रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट सहित देश भर की विभिन्न अदालतों में तीन करोड़ से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि भारत में ही नहीं दुनिया भर में न्याय पाना कहीं ज्यादा मुश्किल होता जा रहा है। साथ ही न्याय पाने की प्रक्रिया बहुत लंबी और खर्चीली भी होती जा रही है। हर व्यक्ति को उसकी आर्थिक स्थिति देखे बिना न्याय दिलाना पूरी न्याय प्रणाली के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

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