सरकार को जनता के साथ जोड़ने के मकसद से लाए गए 73 वें और 74 वें संविधन संशोधन का अभी फलीभूत होना बाकी है। गांवों में तो पंचायतें भी बनी हैं और ग्राम सभा यानि गांव के हर आदमी सभा को कुछ अधिकार भी मिले हैं। हालांकि अभी ग्राम सभाओं को सशक्त किए जाने के लिए काफी कुछ किया जाना बाकी है लेकिन यहां चर्चा शहरों की जहां आम आदमी के पास ग्राम सभा की तर्ज पर कोई मंच ही नहीं है जहां वह अपनी बात कह सके कि उसे क्या चाहिए। यहां के लोगों के लिए नगर सभा या मोहल्ला सभा जैसी कोई व्यवस्था ही नहीं है।हाल ही में शहरी क्षेत्रों के लिए केंद्र सरकार ने नगर राज विधेयक का प्रारुप तैयार किया है जिसमें पहली बार मोहल्ले के लोगों की आम सभा की बात कही गई है। इसमें नगर के वार्डों को कई भागों में बांट देने की बात है, जिसे क्षेत्र (एरिया) के नाम से जाना जाएगा। हरेक एरिया में 3000 मतदाता होंगे। इन मतदाताओं की एक सभा होगी जिसे क्षेत्र सभा (एरिया सभा) कहा जाएगा और इस सभा को कुछ अधिकार भी दिए जाएंगे।केंद्र सरकार ने इस नगर राज बिल को जवाहर लाल नेहरु राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जे.एन.यू.आर.एम.) के साथ जोड़ा है। प्रस्ताव के मुताबिक जे.एन.यू.आर.एम, का पैसा उन्हें राज्यों को मिलेगा जो इस नगर राज बिल को अपने यहां लागू करेंगे। राज्य सरकार चाहे तो इसमें थोड़ा बहुत संशोधन कर सकती है।लेकिन यह विधेयक अपने-आप में अपूर्ण है। नगरराज विधेयक में क्षेत्र सभा को कोई विशेष अधिकार दिए जाने का उल्लेख नहीं है। जो अधिकार दिए गए हैं वो शहरी प्रशासन में महज लोगों की भागीदारी तक ही सीमित है। स्थानीय सरकारी कर्मचारियों पर नियंत्रण रख सकने लायक कोई अधिकार क्षेत्र सभा के पास नहीं होगा। सिर्फ दिखावे के लिए मिले अधिकारों से लोगों की रुचि क्षेत्र सभा की बैठक में कम हो जाएगी। अगर ऐसा होता है तो सरकार और राजनीतिक पार्टियों को शासन और स्थानीय लोकतंत्र में नागरिक सहभागिता के विचारों की आलोचना करने का अच्छा बहाना मिल जाएगा।दूसरी तरफ लोकराज आंदोलन (स्वराज अभियान) ने समाज के कुछ प्रतिष्टित लोगों और कार्यकर्ताओं जैसे सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे, महाराष्ट्र सूचना आयोग के सूचना आयुक्त विजय कुवलेकर, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव एससी वेहर, अनुसूचित जाती और जनजाति आयोग के पूर्व आयुक्त बीडी शर्मा इत्यादि से सलाह मशविरा करने के बाद आदर्श नगर राज विधेयक के लिए कुछ सुझाव तैयार किए हैं किसी भी इलाके में वहां के लोगों को व्यवस्था से ऊपर रखने वाले इस बिल में कहा जा रहा है कि स्थानीय स्कूल, दवाखाना, राशन दुकान, सड़क, स्ट्रीट लाइट, इत्यादि से जुड़े काम और उस पर नियंत्रण का अधिकार लोगों के पास होना चाहिए। इसी तरह उपरोक्त कार्य से सम्बंधित अधिकारियों पर क्षेत्र सभा (मोहल्ला सभा) का नियंत्रण होना चाहिए।लोकराज अभियान द्वारा तैयार नगर राज बिल की कुछ खास-खास बातेंमोहल्ला सभा
- सभी निगम वार्डों को लगभग तीन तीन हज़ार की आबादी वाले मोहल्लों में बांटा जाय। मोहल्ले के सभी लोगों की आम सभा ही मोहल्ला सभा कहलाएगी।
- प्रत्येक मोहल्ला सभा का एक प्रतिनिधि होगा जिसका चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा कराया जाएगा।
- एक वार्ड की सभी मोहल्ला सभाओं के प्रतिनिधियों को मिलाकर वार्ड समिति बनेगी। उस इलाके का वार्ड कांउसिलर इस समिति का अध्यक्ष होगा।
- मोहल्ला सभा अपने मोहल्ले के सभी मामलों को देखेगी। एक मोहल्ले से बाहर के मामलों को वार्ड समिति, उस वार्ड की सभी मोहल्ला सभाओं के सलाह मशविरे के आधार पर देखेगी।
- मोहल्ला सभा के प्रतिनिधि अपनी-अपनी मोहल्ला सभाओं की बैठक की अध्यक्षता करेंगे तथा मोहल्ले की जनता और वार्ड समिति के बीच मध्यस्थ का काम करेंगे।
सरकारी खर्च पर जनता का नियंत्रण
- मोहल्ला सभा के सभी फैसले खुली मासिक बैठकों में लिए जाएंगे।
- वार्ड समितियों के आय के स्वतंत्र स्रोत होंगे, वार्ड की मोहल्ला सभाओं से सलाह मशविरा कर, वार्ड समिति अपने क्षेत्र में कुछ मामलों में टैक्स लगाने व उगाहने के लिए अधिकृत होगी।
- वार्ड समितियों को नगर निगम, राज्य व केंद्र सरकारों से अनटाइड बजट राशि मिलेगी।
- इस पैसे से क्या काम होगा और कहां खर्च होगा इसका निर्णय मोहल्ला सभा करेंगी।
सरकारी कर्मचारियों पर नियंत्रण
- काम करने वाली एजेंसी को पैसा तभी दिया जाएगा जब मोहल्ला सभा की ओर से काम पूरा और संतुष्टि पूर्वक होने का सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाएगा।
- मोहल्ला सभा में सभी लोग मिलकर फैसले लेंगे। मोहल्ला सभा प्रतिनिधि तथा स्थानीय सरकारी कर्मचारी केवल उन पर अमल करेंगे।
- यदि मोहल्ला सभा प्रतिनिधि या वार्ड कांउसिलर, मोहल्ला सभा के निर्देशों का पालन नहीं करते हैं तो मोहल्ला सभा को उन्हें अपने पद से वापस बुलाने का अधिकार होगा।
- यदि स्थानीय सरकारी कर्मचारी मोहल्ला सभा के निर्देशों का पालन नहीं करते हैं तो मोहल्ला सभा को उनका वेतन रोकने या उन पर ज़ुर्माना लगाने का अधिकार होगा। उदाहरण के लिए यदि कोई जूनियर इंजीनियर खराब सड़क बनवाता है, पार्क का माली ठीक से काम नहीं करता है, सफाईकर्मी ठीक से काम नहीं करता है अथवा सरकारी स्कूल में अध्यापक ठीक से नहीं पढ़ाता है तो मोहल्ला सभा इनके खिलाफ एक्शन लेने के लिए अधिक्रत होगी।
- मोहल्ला सभा इलाके से सम्बंधित जूनियर इंजीनियर, हैड मास्टर, राशन दुकानदार, सफाई सुपरवाईज़र, पार्क माली, मेडिकल सुपरिटेंडेंट स्तर तक के अधिकारियों को सम्मन करने के लिए अधिक्रत होंगी।
अधिकार एवं कर्तव्य
- यदि राशन वाला ठीक से राशन नहीं देता है तो मोहल्ला सभा उसकी दुकान का लाइसेंस रद्द कर नए व्यक्ति को इसका लाइसेंस देने के लिए अधिक्रत होगी।
- मोहल्ला सभा यह सुनिश्चित करेगी कि उसके इलाके में कोई व्यक्ति बेघर या भुखमरी का शिकार न हो, मोहल्ले में सभी के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध् हों और कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।
- वार्ड समिति के भी अधिकार एवं दायित्व, अपने वार्ड के संदर्भ में, उपरोक्त अनुसार ही होंगे। साथ ही वार्ड समिति के सभी फैसलों को उस क्षेत्र की मोहल्ला सभा से अनुमति/मंजूरी लेना ज़रूरी होगा।
- किसी भी इलाके से कोई झुग्गी झोपड़ी तब तक नहीं हटाई जा सकेगी जब तक कि सरकार वहां रहने वाले लोगों के लिए सरकारी नीतियों के अनुसार पुनर्वास के इंतज़ाम नहीं करती है। ऐसे इंतज़ामात के बारे में प्रभावित क्षेत्र की मोहल्ला सभा का संतुष्ट होना ज़रूरी होगा।
नगर निगम और राज्य विधानसभा पर अधिकार
- दिल्ली क्षेत्र में आने वाले सभी गांवों में ग्राम सभा की ज़मीन पर पूर्णत: ग्राम सभा का ही नियंत्रण होगा।
- कोई भी मोहल्ला सभा, दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित कर, दिल्ली नगर निगम को किसी मुद्दे पर विचार करने के लिए कह सकेगी तथा नगर निगम इस पर विचार करने के लिए बाध्य होगा।
- यदि दिल्ली की 67 प्रतिशत मोहल्ला सभाएं कोई प्रस्ताव पारित करती हैं तो दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार उसे मानने व लागू कराने के लिए बाध्य होगी। यह प्रस्ताव किसी कानून में बदलाव के लिए भी हो सकता है।
सोमवार, 19 मई 2014
शहरों के लिए कानून
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