18 मई, 2014। एक अभूतपूर्व समर्थन के रूप में, पूरे विश्व से 133 शहरों के 1500 से अधिक स्वयंसेवी वन सत्याग्रही बन गये, जब उन्होंने महान जंगल,सिंगरौली को बचाने के लिए बैनर के साथ प्रदर्शन किया। यह हमारे नये प्रधानमंत्री का ध्यान महान जंगल की तरफ खींचने की अभूतपूर्व कोशिश है, जहाँ ग्रामीणों ने एस्सार एवं हिंडाल्को के कोयला खदान के विरुद्ध अनिश्चित कालीन वन सत्याग्रह शुरू किया है।
यह एकजुटता दिवस भारत के 117 एवं विश्व के 16 शहरों में मनाया गया। यदि भारत के कुछ बड़े शहरों को छोड़ दे तो लेह- जम्मू- कश्मीर, इंफाल- उत्तर पूर्व और तिरुनेलवेली- दक्षिण जैसे कई दूर दराज के शहरों ने भी इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया। अमरीका, ग्रीस, चेक अमरीका, ग्रीस, चेक रिपब्लिक, थाईलैंड, फिलीपींस, ट्यूनीशिया, यमन, स्लोवाकिया और नेपाल के स्वयंसेवकों ने भी वैश्विक प्रदर्शन में भाग लिया।
स्वयंसेवकों ने #iamMahan और #Standforforests जैसे संदेशों और प्लेकार्ड्स पर अपने शहरों के नाम के तस्वीरों का मंचन किया। लेह से इफ्तिकार कहते है कि, “मैं मीलों दूर रहकर भी वहां के लोगों का दर्द महसूस कर सकता हूं। कुछ अरबपतियों के निजी फ़ायदों के लिए वह अपना सब कुछ खो सकते हैं। ज़रूरत है की हम जैसे युवाओं को एकजुट होकर महान को बचाने के लड़ाई में शामिल होना चाहिए।”
ग्रीनपीस इंडिया के कार्यकारी निदेशक समित ऐच ने इस भारी समर्थन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, “यह एकजुटता दिवस हमारे नये प्रधानमंत्री के सामने यह साबित करने की एक बहुत बड़ी कोशिश है कि हमारे देश के लोग हमारे वनों का संरक्षण करना चाहते हैं और उन हजारों लोगों के लिए न्याय चाहते हैं जो महान जंगल में होने वाली तबाही से प्रभावित होंगे। ग्रीनपिस इंडिया दुनिया भर से मिल रहे इस जबरदस्त समर्थन का अभारी है।”
पिछले सप्ताह महान में करीब 150 ग्रामीण विशेषकर महिलाओं ने एस्सार के नाजायज कोल खदान के प्रस्ताव के विरोध में सिंगरौली जिला स्थित महान जंगल में शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद चार कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया, जिसमे से तीन लोगों को जमानत मिल चुकी है। ग्रीनपीस इंडिया ने महान संघर्ष समिति(एम एस एस )[1] और अमेलिया गांव के निवासी चौथे कार्यकर्ता, बेचनलाल शाह की रिहाई के लिए जबलपुर में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
समित आइच आगे कहते हैं कि ग्रीनपीस इन घटिया हरकतों के सामने घुटने नहीं टेकेगी। “हम स्थानीय लोगों के दृढ़विश्वास से बहुत प्रभावित हैं और अब महान में एस्सार द्वारा किए जा रहे गलत कामों को बेनकाब करने के लिए कृतसंकल्प हैं”।
महान संघर्ष समिति की कार्यकर्ता अनिता कुशवाहा कहती हैं कि, “पूरी दुनिया में लोगों को महान जंगल बचाने के लिए खड़े देख कर हमें उत्साह मिल रहा है। इन लोगों के समर्थन से हमें अपनी लड़ाई के लिए साहस मिला है और अब हम अपनी लड़ाई को और भी जोरदार तरीके से जारी रखेंगे। हम लड़ेंगे और जीतेंगे”।
इससे पहले फरवरी में पर्यावरण मंत्री वीरप्पा मोईली द्वारा महान कोल ब्लॉक को दूसरे चरण का पर्यावरण मंजूरी दे दिया गया था, जिसका महान के ग्रामीणों द्वारा पुरजोर विरोध किया गया। उन्होंने उस विशेष ग्राम सभा में पारित प्रस्ताव के जाली होने का सबूत पेश किया है जिसके आधार पर दूसरे चरण की पर्यावरण मंजूरी दी गयी है।
साल 2012 में महान कोल ब्लॉक को 36 शर्तों के साथ पहले चरण का पर्यावरण मंजूरी दिया गया था जिसमें वनाधिकार कानून को लागू करवाना भी शामिल था। 6 मार्च 2013 को अमिलिया में वनाधिकार पर विशेष ग्राम सभा आयोजित किया गया था। इस ग्राम सभा में 184 लोग उपस्थित थे लेकिन आरटीआई से मिले ग्राम सभा के प्रस्ताव में 1125 लोगों के हस्ताक्षर हैं। इनमें कई ऐसे हैं जो तीन साल पहले मर चुके हैं। इसके अलावा 27 अमिलिया निवासियों ने लिखित रूप से शिकायत दर्ज कराया है कि वे उस ग्राम सभा में उपस्थित नहीं थे।
महान संघर्ष समिति के जगनारायण शाह ने फर्जी ग्राम सभा के प्रस्ताव के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवायी है लेकिन अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गयी है। मीडिया खबरों के अनुसार जिला कलेक्टर एम. सेलवेन्द्रन ने कहा है कि वे इस मामले को देखेंगे। महान संघर्ष समिति ने पुलिस अधीक्षक डी. कल्याण चक्रवर्ती के पास भी आवेदन दिया है।
ग्रीनपीस इंडिया और उसके दुनिया भर से सैकड़ों स्वयंसेवकों की मांग है कि एस्सार को दिए गये अनुमति पर पुनर्विचार करना चाहिए एवं पूरी जांच तक पर्यावरण मंत्री के इस फैसले को अमान्य माना जाना चाहिए|
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