मैडम, जैसे आपका मलमल का लाल (फिक्स नहीं है, मने आप अपनी पसंद का भी रंग चूज कर सकती हैं।) दुपट्टा उड़ता जाता है, वैसे ही हमारी पतंग भी उड़ती है। आपके दुपट्टे की तरह हमारी पतंग का भी रंग फिक्स नहीं है। बल्कि हम तो ये भी शर्त लगाने के लिए तैयार हैं कि हमारी पतंग में किसी भी देश के दुपट्टे, स्कार्फ, बुर्के से ज्यादा रंग हैं। कितनी तो रंगीन है हमारी पतंग...ठीक उतनी ही जितना कि उड़ना होता है, जितना कि उड़ते हुए को थामना होता है। याद है मैडम...एक बार आपने कहा था कि यू ड्राइव मी क्रेजी। हम उसी वक्त समझ गए थे कि आपका मन पतंग हो रहा है, पर जींस दूसरे से कंट्रोल किए जाने के हैं तो पतंग ही हो रहा है, गौरया का नहीं। सेल्फ ड्राइव का मोड नहीं बन पाया ना आपका। बहरहाल, आप कीजिए सेल्फ ड्राइव मोड में आने की प्रैक्टिस औ हम चले पतंग उड़ाने
।
अब देखिए ना, हमारे पास एक नहीं, बल्कि दो दो पतंगें हैं। एक बड़ी त दूजी छोटी। मजे की बात तो ये कि दोनों बड़ी तेज उड़ती हैं। कोई किसी से मजाल कि राई रत्ती कम हो जाएं। एक पुरानी उड़ाका, न जाने आसमान में कितनी पतंगें काट के आई है त दूजी नई उड़ाका जिसके तो ठीक से कन्ने भी न बंधे। एक मिनट, जरा बड़ी वाली उतार लें, कैसी तो लंफ लंफ के नाच रही है आसमान में कि दूसरी वाली सही से टिक भी नहीं पा रही है। अब दूसरी वाली का कन्ना वन्ना ठीक से बांध लें तो दोनों को उड़ाएंगे। हां, सही सुन रही हैं मैडम, दोनों को उड़ाएंगे। आखिर दो दो हाथ हैं न हमारे। यकीन मानिए, हम इंसाफ में यकीन रखते हैं तो एक को जितना ऊंचा ले जाएंगे, हम वादा करते हैं कि दूसरी भी उतनी ही ऊंची उड़ेगी।
हम कन्ना बांध दिए हैं कायदे से छोटी वाली पतंग का। अब देखते हैं कि कैसे बड़की पतंग इससे ज्यादा हरहराती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें