आज गन्ने की खेती करने वाले एक किसान से भेंट हुई। उनका कहना था कि इस बार चीनी मिल मालिक सही समय पर मिल चालू करने से मना कर रहे हैं। पिछले साल भी देर से मिल चलने के कारण खेत खाली नहीं हुआ, इसलिए गेंहूँ की बुआई समय से नहीं हो पाई थी। मिल मालिकों ने गन्ने का पेमेंट भी समय से नहीं किया। सरकार से ढेर सारी सहूलियतें मिलने के बावजूद अभी तक चीनी मिलों पर किसानों का हजारों करोड़ रूपए बकाया है। अपना पैसा पाने के लिए हम अदालतों का मुँह देखने और पुलिस की लाठी खाने को मजबूर हैं।इस बार सरकार ने गन्ने का भाव 220 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है जो पिछले साल से काफी कम है। भाजपा ने चुनाव के समय वादा किया था कि सरकार
दिगंबर, लेखक जाने-माने वामपंथी विचारक हैं।