डॉ. कौशल किशोर मिश्रआयुष प्रभाग, महारानी जिला चिकित्सालय जगदलपुर, बस्तर, छ.ग.
प्रिय आत्मन ! विविधताओं, आश्चर्यों और विद्रूपों से भरी पूरी ये दुनिया अब मुझे हंसाती कम, रुलाती अधिक है । हम दीवाने हुये जा रहे हैं, ब्रह्माण्ड की संरचना के रहस्य को अनावृत्त करने के लिये ही नहीं बल्कि ब्रह्माण्ड के अन्य खगोलीय पिण्डों तक अपनी पहुँच बनाने के लिये भी । जिस ग्रह के मनुष्यों की न्यूनतम और मौलिक आवश्यकतायें भी अर्थाभाव के कारण पूरी न हो पा रही हों उसी ग्रह के कुछ लोग बेशुमार दौलत खर्च करके भी प्रकृति के रहस्यों का घूँघट उठाने के लिये दीवाने हुये जा रहे हैं ।
इक्कीसवीं शताब्दी में बिक्री के लिये ले जायी जातीं लड़कियाँ
हम जिस ग्रह के वासी हैं वह बेशुमार ऊँचे पर्वतों और बेहद गहरी खाइयों से भरा पड़ा है । पर्वत इतने ऊँचे हैं कि वहाँ से न केवल अंतरिक्ष की छलाँग लगायी जा सकती है बल्कि गॉड पार्टिकल भी पाया जा सकता है और खाइयाँ इतनी गहरी हैं कि शौचालय के अभाव में स्त्रियों का सतीत्व लुट जाता है और धर्म के ठेकेदार विकृत इन्द्रिय सुख के लिये लड़कियों के ज़िस्म और रूह को दीनारों से तौल डालते हैं ।
शारीरिक भूख और इस्लाम
पुरुष के इन्द्रिय सुख के लिये स्त्रियों की बोलियाँ कबसे लगती आ रही हैं इसका सही-सही लेखा-जोखा तो शायद ही कहीं मिल सके किंतु कलियुग के इस दुर्दांत चरण में इस्लामधर्मसंस्थापनार्थाय रक्तपात, स्त्रियों का बलात अपहरण और विक्रय मनुष्य समाज के विद्रूपों का कृष्णविवर बन चुका है जहाँ अखिल ब्रह्माण्ड के कोटि-कोटि सूर्यों का प्रकाश भी लुप्त हो जा रहा है । विदित हुआ है कि मध्य-पूर्व में इस्लामिक स्टेट के झण्डाबरदार येज़िदी और ईसाई स्त्रियों को बलात् उठा ले जा रहे हैं ताकि उन्हें नीलाम किया जा सके । मनुष्य ने अपनी आधी दुनिया का मूल्य उम्र के पसंगे पर रखकर दीनारों से तय कर दिया है ।
आने वाले इतिहास में लिखा जाना चाहिये कि “…..हिज़री सन् 1436 के मोहर्रम महीने में पृथ्वी का मनुष्य जब गॉड पार्टिकल की खोज में दीवाना हुआ जा रहा था ठीक उसी समय उनका एक निरंकुश धड़ा धर्म के नाम पर स्त्रियों को नीलाम करने में मशगूल हुआ जा रहा था । 10 से 20 वर्ष की कच्ची आयु वाली लडकियों की कीमत डेढ़ लाख दीनार, 20 से 30 वर्ष की आयु वाली युवती की कीमत एक लाख दीनार, 30 से 40 वर्ष की आयु वाली परिपक्व स्त्री की कीमत 75 हज़ार दीनार और 40 से 50 वर्ष की आयु वाली प्रौढ़ा स्त्री की कीमत 50 हज़ार दीनार तय की गयी थी । दुर्भाग्य से जब कभी किसी स्त्री के एक से अधिक ख़रीददार आ जाते तो उनमें स्त्री को पाने के लिये होड़ लग जाती और तब उस स्त्री को नीलाम करना पड़ता था”।
ईसा ने कभी यह कल्पना भी नहीं की होगी कि उनके अनुयायियों की स्त्रियों को ईसवी सन् 2014 में कुछ निरंकुश इस्लामिक झण्डावरदारों की विकृत यौन हिंसा का बेबस शिकार होना पड़ेगा और पूरी दुनिया सिर्फ़ और सिर्फ़ तमाशा भर देखती रह जायेगी ।
Babylonian Marriage Market by Edwin Long,
1875 CE, Royal Holloway College, London
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एशिया और अफ़्रीका के कई देशों में आधी दुनिया के साथ होने वाले यौन दुष्कर्मों के कई कारणों में से एक महत्वपूर्ण कारण घरों में शौचालयों के न होने से यौन अपराधियों को सहज उपलब्ध अवसर भी है । दुनिया के सभी देश अपने नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों का आश्वासन तो देते हैं किंतु भोजन और शौच की उपयुक्त व्यवस्था कर पाने में वे कितने सफल हुये हैं, यह प्रश्न ब्रह्माण्ड की तलाश करने वाली योजनाओं के औचित्य पर एक गम्भीर पुनर्चिंतन की माँग करता है
अहंकार, उपभोग की दुर्दम इच्छाओं और स्त्री की बेचारगी ने स्त्री को भी एक “बिकाऊ वस्तु” बना दिया है । एक ढ़ीठ सा प्रश्न है, सभ्य कहलाने वाले इस युग में आख़िर ये स्त्री “वस्तु” कब तक बनी रहेगी ?
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