सोमवार, 1 दिसंबर 2014

टेरर कॉरिडोर बनाने की तैयारी..!


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उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार, पश्‍चिम बंगाल और बांग्लादेश के बीच आतंकी गलियारा बनाने की कोशिशें चल रही हैं. उत्तर प्रदेश के बिजनौर और पश्‍चिम बंगाल के बर्धमान ज़िले में हुए विस्फोटों के तार किस तरह उत्तर प्रदेश, पश्‍चिम बंगाल एवं बांग्लादेश से जुड़े हुए थे, उसका जैसे-जैसे खुलासा हो रहा है, वैसे-वैसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं. जिस तरह दक्षिणी राज्यों से उत्तरी राज्यों और नेपाल को मिलाकर माओवादी-कॉरीडोर बनाने में नक्सली संगठन लगभग कामयाब हुए, ठीक उसी तरह उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्‍चिम बंगाल और बांग्लादेश को मिलाकर कम्युनल-कॉरीडोर बनाने की कोशिश तेज गति से चल रही है. दो दशकों से भी अधिक समय से फरार कुख्यात आतंकी सलीम पतला के मुजफ्फरनगर में पकड़े जाने के बाद इस खुलासे पर आधिकारिक मुहर लग गई. राष्ट्रीय जांच एजेंसी के समक्ष अब यह साफ़ हो गया कि बिजनौर विस्फोट, बर्धमान विस्फोट और मध्य प्रदेश की खंडवा जेल से हुई आतंकियों की फरारी की कड़ियां एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं.
21 सालों से फरार चल रहे कुख्यात आतंकी सलीम पतला को पिछले दिनों मुजफ्फरनगर में खतौली पुलिस और एटीएस की टीम ने पकड़ा. सलीम पर 1992 में मेरठ के नौचंदी ग्राउंड और 1993 में हापुड़ रोड पर पशु चिकित्सालय के पास पीएसी कैंप पर बमों से हमला करने का आरोप है. सलीम देश भर में घूम-घूमकर इंडियन मुजाहिदीन के लिए काम कर रहा था और उसने मुरादाबाद को छिपने का अड्डा बना रखा था. पीएसी कैंप पर हमले के बाद सलीम के छह साथी तो गिरफ्तार हो गए थे, लेकिन वह पकड़ से बाहर था. पीएसी कैंप पर उक्त हमले में कई जवान शहीद हुए थे और कुछ गंभीर रूप से घायल हो गए थे. सलीम मेरठ के लिसाड़ी गेट का रहने वाला है. मुजफ्फर नगर दंगे के बाद उत्तर प्रदेश और खास तौर पर पश्‍चिमी उत्तर प्रदेश आतंकियों की सक्रिय गतिविधियों का केंद्र बन गया है. लश्कर के आतंकी सुभान एवं उसके कुछ साथियों के पकड़े जाने के बाद सलीम की गिरफ्तारी बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है. सुभान हरियाणा के मेवात मॉड्यूल के तहत काम करता था. उसी ने शामली और मुजफ्फर नगर के राहत शिविरों का दौरा करके दंगा पीड़ितों को भड़काने और बरगलाने की कोशिश की थी.
खुफिया एजेंसियों के समक्ष आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि हो चुकी है कि अलकायदा जैसे संगठन शामली, मुजफ्फर नगर, सहारनपुर, मेरठ एवं मुरादाबाद के दंगों का हवाला देकर युवकों को आतंकी बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. सलीम की गिरफ्तारी के बाद यह खुलासा हुआ कि वह उत्तर प्रदेश के क़रीब-क़रीब सभी संवेदनशील जनपदों में इंडियन मुजाहिदीन और सिमी का नेटवर्क खड़ा कर रहा था. उसके गुर्गे किसी भी शहर में दंगा कराने में माहिर हैं. सलीम बांग्लादेश के दुर्दांत आतंकी संगठन हूजी से गोला-बारूद लेता था. आतंकियों के लिए हथियारों का भी वह बड़ा सप्लायर रहा है. सलीम पतला, सलीम मोटा और जब्बार वे तीन नाम थे, जो 27 जनवरी, 1993 को मेरठ पीएसी बम कांड के बाद सामने आए थे. उनमें से सलीम पतला अब तक फरार था. खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी के मुताबिक, बांग्लादेश के दुर्दांत आतंकी संगठन हूजी से सलीम के गहरे रिश्ते हैं. हूजी ही सलीम को गोला-बारूद और असलहे उपलब्ध कराता था.
आतंकियों की मदद के लिए सलीम पतला चोरी की गाड़ियां कश्मीर सप्लाई करने का काम भी कर रहा था. उसने 25 से अधिक ऑडी, डस्टर, फॉर्च्यूनर एवं इनोवा जैसी गाड़ियां कश्मीर भेजी थीं. उसने जम्मू-कश्मीर में मोटर गैराज भी खोल रखा था. खुफिया एजेंसी बताती है कि सलीम पतला आतंकी संगठन अलबर्क तंजीम का भी सदस्य रहा है. पश्‍चिमी उत्तर प्रदेश के ही बिजनौर में क़रीब एक महीने पहले हुए धमाकों से भी सलीम के तार जुड़े हैं. बिजनौर धमाकों के बाद आतंकियों के कमरे से जो सिम बरामद हुए थे, उन्हीं के आधार पर जांच को आगे बढ़ाते हुए एटीएस सलीम पतला तक पहुंची. मध्य प्रदेश की खंडवा जेल से फरार हुए आतंकी बिजनौर में ही आकर छिपे थे. इन आतंकियों की कोशिश थी कि पश्‍चिमी उत्तर प्रदेश आतंकी गतिविधियों का केंद्र बने. इसके लिए आतंकियों ने मेरठ को मुख्य संपर्क क्षेत्र बना रखा था. बिजनौर में रहकर सिलेंडर बम तैयार करने वाले चार आतंकी मेरठ में पीएल शर्मा रोड आकर लैपटॉप खरीद कर ले गए थे. बिजनौर में उपचुनाव के ऐन पहले सिलेंडर से ब्लास्ट हो गया और आतंकी फरार हो गए.
इसके बाद ही खुलासा हुआ कि वे मेरठ आए थे. मेरठ के पूर्वा फैय्याज अली मोहल्ले के निवासी आसिफ अली की आतंकी गतिविधियों के बारे में दिसंबर 2013 में ही खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिल चुकी थी, लेकिन उसे इस साल 17 अगस्त को गिरफ्तार किया जा सका. उसकी गिरफ्तारी से पहले ही यह खुलासा हो गया था कि आसिफ इंडियन मुजाहिदीन के साथ-साथ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए भी काम करता है. आईएसआई के लिए जासूसी करने में कोलकाता में पकड़े गए भारतीय सेना के पूर्व जूनियर कमीशंड अफसर मदन मोहन पाल और पीके पोद्दार के आसिफ से गहरे रिश्ते थे. आईएसआई इन गद्दारों के खाते में आसिफ के जरिये ही पैसे डलवाती थी. बिहार के बोधगया में हुए सिलसिलेवार धमाकों में इस्तेमाल हुए सिलेंडर बम भी मेरठ में बनाए गए थे.
बिजनौर, बर्धमान एवं बोधगया धमाकों के आपस में जुड़े हुए तार आतंकी कॉरीडोर की स्थापना के प्रयासों की पुष्टि करते हैं. इसमें बांग्लादेश को जोड़ने के लिए कड़ी का काम कर रहा था आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेयूएम-बी) का कमांडर शेख रहमहतुल्ला उर्फ साजिद. बर्धमान ज़िले के खागरागढ़ में हुए विस्फोट मामले में कोलकाता पुलिस ने साजिद को गिरफ्तार किया है. एनआईए ने इस आतंकी पर 10 लाख रुपये का ईनाम रखा था. साजिद बांग्लादेश के एक रिटायर्ड सेनाधिकारी का बेटा है. साजिद के बांग्लादेशी आतंकी संगठन मजलिसे सूरा से भी संबंध हैं. साजिद ही बर्धमान मॉड्यूल चला रहा था. उसने धमाके में शामिल आतंकी कौशर को उत्तर प्रदेश के इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों से संपर्क रखने के लिए लाखों रुपये दिए थे. असम के बरपेटा में रहने वाला एक डॉक्टर भी आतंकी लिंक स्थापित करने के लिए फंडिंग की व्यवस्था करता था. डॉक्टर शाहनूर तो पकड़ा नहीं गया, पर उसकी पत्नी सुजाना बेगम को गिरफ्तार कर लिया गया है.
बिजनौर, बोधगया एवं बर्धमान धमाकों के लिंक खंगालने में लगी खुफिया एजेंसियों को यह पता लगा कि भारत में इंडियन मुजाहिदीन को सक्रिय करने में बांग्लादेशी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेयूएम-बी) लगा हुआ है और उसका इरादा आईएसआई की मदद से कराची से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार एवं पश्‍चिम बंगाल होते हुए ढाका तक एक ताकतवर आतंकी गलियारा स्थापित करना है. इस काम में राजनीतिज्ञों के अलावा मीडियाकर्मी भी आतंकियों का साथ दे रहे हैं और उन्हें संरक्षण देने का काम कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश और पश्‍चिम बंगाल के कुछ राजनीतिज्ञों एवं पत्रकारों के नाम खुफिया एजेंसियों के हाथ आ चुके हैं, जिन पर निगरानी रखी जा रही है और अंदरूनी तौर पर पूछताछ भी की जा रही है. अभी हाल में नेपाल सीमा पर एनआईए के हाथों पकड़े गए यूसुफ शेख से भी इन साजिशों का खुलासा हुआ है. यूसुफ शेख शिमुलिया मदरसा का संस्थापक है. इस मदरसे को एनआईए ने अपनी रिपोर्ट में जेहादी तैयार करने का कारखाना कहा है.
पश्‍चिम बंगाल के बर्धमान के जिस मकान में विस्फोट हुआ, वहां आईएम का स्लीपर सेल और जेयूएम-बी के सदस्य मिलकर देश भर में आतंकी गतिविधियां चलाने के लिए षड्यंत्र रच रहे थे. ठीक उसी तरह, जैसे उत्तर प्रदेश के बिजनौर में छिपकर बड़े पैमाने पर सिलेंडर बम बनाने का काम किया जा रहा था. बर्धमान में भी बम बनाते समय विस्फोट हो जाने से आतंकी शकील अहमद एवं शोभन मंडल की मौत हो गई थी और जख्मी हुए तीसरे आतंकी हसन साहब उर्फ अब्दुल हाकिम को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. विस्फोट के बाद दो महिलाओं समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया. इनमें विस्फोट में मारे गए शकील अहमद की पत्नी रजीरा बीबी और हसन साहब उर्फ अब्दुल हाकिम की पत्नी अमीना बीबी शामिल हैं. ठीक उसी तरह बिजनौर में भी बम बनाते समय धमाका हुआ था और उसमें जख्मी हुए आतंकी महबूब को उसके साथी स्थानीय डॉक्टर शमीम के पास ले गए थे, लेकिन 70 फ़ीसद से अधिक जले होने के कारण आतंकी उसे वापस लेकर चले गए.
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि उस आतंकी की मौत हो गई, लेकिन उसकी लाश बरामद नहीं हो सकी. बिजनौर प्रकरण में भी एक महिला पकड़ी गई थी. बर्धमान विस्फोट कांड की तरह बिजनौर में भी धमाके के बाद मा़ैके से 9-एमएम की पिस्टल, लैपटॉप, कई छोटे सिलेंडर, मोबाइल सेट, सिम कार्ड, बम बनाने की सामग्री और तीन आईडी बरामद किए गए थे. बिजनौर में एक दर्जी की दुकान से भी बम बनाने का सामान और विस्फोटक बड़ी तादाद में बरामद हुआ था. बर्धमान, बिजनौर एवं बोधगया बम कांड को जोड़ते हुए एनआईए ने झारखंड के जमशेदपुर स्थित आज़ाद नगर के रोड नंबर 12 पर एक घर से शीश महमूद को गिरफ्तार किया था. वह जेयूएम-बी का एरिया कमांडर था. महमूद के नेतृत्व में जेयूएम-बी ने बांग्लादेश में तीन सौ स्थानों पर बम प्लांट किए थे, जिनमें से स़िर्फ एक स्थान पर वे बम विस्फोट करा पाए. शेष बम बांग्लादेश की सेना एवं पुलिस ने बरामद कर लिए थे. बांग्लादेश में दबाव बढ़ने पर महमूद अपने कई साथियों के साथ भारत भाग आया. बर्धमान, बिजनौर एवं बोधगया विस्फोट की जांच में ही पश्‍चिम बंगाल, बिहार एवं उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में इनके नेटवर्क के फैलाव का खुलासा हुआ. असम, मध्य प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर एवं महाराष्ट्र में भी इनका तगड़ा नेटवर्क है. दक्षिण भारत में भी इंडियन मुजाहिदीन का नेटवर्क बेहद मजबूत है. एनआईए के एक अधिकारी ने कहा कि केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश एवं तमिलनाडु में इनके सदस्य बड़ी संख्या में हैं. केरल और कर्नाटक में इंडियन मुजाहिदीन का बड़ा आधार है.


बस्ती में छिपा था बर्धमान कांड का षड्यंत्रकारीउत्तर प्रदेश से पश्‍चिम बंगाल होते हुए बांग्लादेश तक आतंकी गलियारा बनाने की कोशिशों की आधिकारिक सूचनाओं में एक और पुख्ता प्रमाण यह जुड़ गया कि पश्‍चिम बंगाल के बर्धमान में हुए धमाके में विस्फोटक एवं अन्य सामग्री मुहैया कराने वाला बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन (जेयूएम-बी) का कमांडर अमजद शेख उर्फ काजल फरारी के दौरान उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िले में छिपा था. शेख पर भी एनआईए ने दस लाख रुपये का ईनाम घोषित कर रखा था. एक और सनसनीखेज खुलासा यह हुआ कि सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) के एक जवान ने उसे बस्ती में छिपाकर रखा था. एनआईए ने उक्त एसएसबी जवान को हिरासत में ले लिया है. बर्धमान विस्फोट के बाद अमजद बीते आठ अक्टूबर को दिल्ली आ गया था. यहां से वह उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िले में पहुंचा और उसने एसएसबी के अपने उक्त पूर्व परिचित जवान से संपर्क किया तथा उसी जवान की मदद से वह बस्ती में छिपा रहा.

सलीम पतला से जुड़े थे कुछ नेता और मीडियाकर्मी पश्‍चिमी उत्तर प्रदेश में दहशत का ख़तरनाक जाल बुनने में लगे रहे आतंकी सलीम पतला से मीडियाकर्मियों के घनिष्ठ संबंधों का खुलासा हुआ है. चार कद्दावर स्थानीय नेता भी सलीम के संरक्षक थे. आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने जो डायरी बरामद की है, उससे यह जानकारी सामने आई. सलीम के इससे पहले गिरफ्तार होने पर यही मीडियाकर्मी और नेता उसे पुलिस से छुड़ाकर ले गए थे. संदेह के घेरे में आए मीडियाकर्मियों एवं नेताओं पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है.
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