सोमवार, 9 सितंबर 2013

निर्मल-आनन्द: मैं वो नहीं हूँ!

निर्मल-आनन्द: मैं वो नहीं हूँ!: आईने में अक्सर दूसरा आदमी मिलता है। भीतर से देखते हुए जो अपनी छवि बनती है, ठीक-ठीक उससे मिलता नहीं ये आदमी। बाहर से देखकर भीतर की छाया ...

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