जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष प्रो. सैफुद्दीन सोज से अजय तिवारी की बातचीत
भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी अनुच्छेद-370 के बारे में बहस की बात कर रहे हैं, कांग्रेस इस पर क्या सोचती है? भाजपा की यही तो परेशानी है कि वह राजनीति करने के लिए कभी भी कुछ भी कहने लग जाती है। जब भाजपा के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 6 साल केंद्र में हुकूमत थी तब भाजपा को अनुच्छेद-370 की याद क्यों नहीं आई? दरअसल, वाजपेयी भी जानते थे कि ऐसा नहीं किया जा सकता, यह बात भाजपा के भी कई नेता जानते हैं। मोदी के बारे में क्या कहें वो तो कुछ भी न जानते हैं और न समझते हैं। जब नरेन्द्र मोदी ने अनुच्छेद-370 की समीक्षा की बात कही है तो उसके पीछे भी तो कोई गहरी सोच हो सकती है। शायद वह देश की एकता के लिए ऐसा कह रहे हों? वह सालों से गुजरात के मुख्यमंत्री हैं, इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता है कि वे कुछ जानते नहीं हैं? नरेन्द्र मोदी कन्फ्यूज हैं। वह संविधान के इतिहास को नहीं जानते। जब वह जम्मू- कश्मीर की पृष्ठभूमि को समझते ही नहीं हैं तो फिर उनसे इस विषय पर क्या बहस करना। मोदी भी इस विषय पर क्या खाक बहस करेंगे। बहस या र्चचा उससे की जाती है, जिसे कुछ ज्ञान हो। मोदी को हम इस काबिल ही नहीं समझते तो फिर उनकी बात पर गौर ही क्यों करें। वैसे भी वह बेसिर पैर की बात कर रहे हैं। आप किस आधार पर कह रहे हैं कि अनुच्छेद-370 को हिला या डिगा नहीं सकते? या उसे बदल नहीं सकते? अनुच्छेद-370 संविधान का हिस्सा है, उसे बदला नहीं जा सकता। यह अनुच्छेद ही केंद्र और राज्य (जम्मू-कश्मीर) के बीच पुल का काम करता है। अगर केंद्र सरकार अपना कोई कानून जम्मू-कश्मीर में लागू करती है तो इस पुल के जरिए ही लागू करती है। अब तक केंद्र के 32 विधेयक जम्मू-कश्मीर में इसी तरह से लागू किए गए हैं। अगर जम्मू-कश्मीर की जनता खुद चाहे तो क्या तब भी अनुच्छेद-370 की समीक्षा नहीं हो सकती? क्या राजनीतिक दल तब भी इसकी इजाजत न देंगे? जम्मू-कश्मीर के लोग अगर इस तरह की ख्वाहिश का इजहार करें तो अवश्य समीक्षा हो सकती है। अभी राज्य के लोग नहीं चाहते कि ऐसा कुछ हो। अनुच्छेद-370 के जरिए ही बाहर के लोगों से जम्मू-कश्मीर के लोगों का रिश्ता बना हुआ है। भाजपा और मोदी ने अनुच्छेद-370 का शिगूफा इसलिए छोड़ा ताकि फसाद और झगड़े कराए जा सकें। राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए भाजपा हमेशा से यही सब हथकंडे तो अपनाती आई है। यह भी कहा जा रहा है कि महिलाओं को बाहर शादी करने पर जम्मू-कश्मीर में कोई अधिकार नहीं रह जाते हैं, उस पर आपको क्या कहना है? यह भी झूठा प्रचार है। महिलाओं को कुछ नुकसान नहीं होता है, उन्हें सम्पत्ति में हिस्सा भी मिलता है। राज्य में महिलाओं के लिए अलग कानून हैं। मोदी सारा कुछ झूठ ही कहते हैं; इसलिए महिलाओं के अधिकारों को लेकर भी वह कह रहे हैं।
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रविवार, 8 दिसंबर 2013
सूबे का अवाम अभी नहीं चाहता बहस
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