बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

दिल्ली का बाबू: भ्रष्टाचार के विरुद्ध सक्रियता

nitish
चुनाव नजदीक आने के साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य की नौकरशाही के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपनी लड़ाई की रफ्तार तेज दी है. 2005 में सत्ता में आने के बाद से ही नीतीश कुमार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई लोगों के बीच बातचीत का विषय रही है. इसकी वजह से उन्हें तारीफ भी मिलती रही है. लेकिन, चुनाव का समय नर्वस करने वाला होता है और नीतीश कुमार शायद इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि वह पूर्व की सफलता को आसानी से नहीं ले सकते. सूत्रों के अनुसार, आगामी दो महीनों के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से राज्य में लगभग 576 नौकरशाहों पर निष्कासन का ख़तरा मंडरा रहा है. राज्य के मुख्य सचिव ए के सिन्हा को इस बात के निर्देश दिए गए हैं कि वह प्रत्येक सप्ताह अधिकारियों के साथ बैठक करके इन मामलों की समीक्षा और फिर सख्त कार्रवाई करें. शायद यह यूपीए शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार और आम आदमी पार्टी के उदय का ही नतीजा है कि भ्रष्टाचार एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया. नीतीश कुमार भ्रष्टाचार की इस बीमारी को वश में करने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहते.


दबाव में निर्णय
Ajit-Singh
नौकरशाही में वरिष्ठ पदों पर नियुक्ति के लिए यूपीए सरकार के स्वयं के मानकों के अनुसार यह एक तेज प्रक्रिया ही मानी जाएगी. उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी प्रभात कुमार के नागरिक उड्डयन महानिदेशक के तौर पर नामित होने के बाद से अन्य अधिकारी कयास लगा रहे हैं. प्रभात कुमार इस साल की शुरुआत से ही इस पद का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे थे. ऐसा कहा जाता है कि प्रभात कुमार नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह के नजदीकी हैं और उनके विश्‍वासपात्र भी. इसके अलावा, इस पर निगाह रखने वाले लोग एक अन्य कारण भी बताते हैं कि आख़िर क्यों प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली नियुक्ति कमेटी ने यह निर्णय इतनी जल्दी लिया? दरअसल, डीजीसीए पर यूएस फेडरल एवियेशन एडमिनिस्टे्रशन द्वारा सुरक्षा मानकों के आधार पर दर्जा घटाए जाने का ख़तरा मंडरा रहा है. किसी बेहतर व्यक्ति का शीर्ष पद पर न होना भारत के प्रयासों को कमजोर कर सकता है. यह बात इस जल्दबाजी को स्पष्ट करती है. लेकिन, सरकार ने ऐसी ही जल्दबाजी दूसरी नागरिक उड्डयन एजेंसियों के प्रमुखों को नामित करने में नहीं दिखाई. उक्त तीन एजेंसियां एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया, ब्यूरो ऑफ सिविल एवियेशन सिक्योरिटी और पवन हंस हेलिकॉप्टर्स हैं, जो वर्तमान समय में नौकरशाहों द्वारा अतिरिक्त प्रभार के जरिये ही संचालित हो रही हैं.


राजनीतिक लड़ाई
Shinde
पूर्व गृह सचिव आर के सिंह द्वारा अपने पूर्व बॉस सुशील कुमार शिंदे की निंदा किए जाने के बाद नौकरशाहों के राजनीतिक दलों में जाने का मुद्दा एक बार फिर से गरमा गया है. 1975 बैच के आईएएस अधिकारी आर के सिंह ने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है और उसके बाद से ही उन्होंने शिंदे पर कई आरोप लगाए हैं. इस बात को लेकर भी आश्‍चर्य जताया जा रहा है कि आर के सिंह द्वारा शिंदे की आलोचना करना कहीं उनके आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने से जुड़ा हुआ तो नहीं है. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि आर के सिंह की शिंदे के साथ कभी घनिष्टता नहीं रही. इसके बावजूद आर के सिंह गृह सचिव के पद पर बने रहे. इस दौरान शिंदे ने जम्मू-कश्मीर कैडर के आईएएस अधिकारी अनिल कुमार पर ज़्यादा भरोसा किया, जिन्हें स्पेशल ड्यूटी पर मंत्रालय में लाया गया था, जो बाद में गृह सचिव भी बने. नौकरशाहों के कूलिंग ऑफ पीरियड के अनुसार, जिस प्रकार वे सेवानिवृत्त होने के बाद  प्राइवेट सेक्टर नहीं ज्वाइन कर सकते, शायद उसी प्रकार के कुछ नियम उनके लिए राजनीतिक दल ज्वाइन करने को लेकर भी बनाए जा सकते हैं.

चौथी दुनिया

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