सोमवार, 5 मई 2014

कांग्रेस की नीतियों से पैदा हुए गुस्से में मोदी को मसीहा के रूप में पेश कर रहे कारपोरेट घराने- कपूर

दारापुरी के समर्थन में अखिलेन्द्र कल से शुरू करेंगे आमसभाएं

दारापुरी का प्रचार अभियान हुआ तेज, विधानसभाओं में हो रही सभाएं

राबर्ट्सगंज, 04 मई 2014, आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राबर्ट्सगंज लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी के चुनाव प्रचार के लिए कल से आइपीएफ के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह इसी लोकसभा क्षेत्र में कैम्प करेंगे। वह चकिया से आमसभाओं की शुरूवात करेंगे और इसके बाद नौगढ़, धोरावल, ओबरा, दुद्धी और अनपरा में आमसभाओं को सम्बोधित करेंगे। वहीं दारापुरी का चुनाव प्रचार अभियान तेज हो गया है। हर विधानसभा में आइपीएफ प्रत्याशी के समर्थन में आमसभाएं, नुक्कड़ सभाएं और गांव-गांव बैठकें हो रही हैं।
आज राजपुर बाजार में हुई सभा को सम्बोधित करते हुए आइपीएफ के प्रदेश संगठन प्रभारी दिनकर कपूर ने कहा कि मोदी सरकार के सुशासन का मतलब अच्छे दिन अम्बानी, अडानी और टाटा, बिरला के और बुरे दिन आदिवासियों, दलितों और असंगठित मजदूरों के आने वाले है। देश के कारपोरेट घराने कांग्रेस की नीतियों से पैदा हुए गुस्से में मोदी को मसीहा के रूप में पेश कर रहे हैं। जबकि गुजरात के मोदी राज में दो लाख से भी ज्यादा वनाधिकार कानून के तहत दाखिल दावें खारिज कर दिए गए। गुजरात में हर तीसरा बच्चा कुपोषित है और गर्भवती महिलाओं की सबसे ज्यादा मौतें वहां होती है। उन्होंने कहा कि सपा-बसपा के शासनकाल में प्राकृतिक व औद्योगिक लिहाज से समृद्ध इस जिले को लूट की चारागाह में बदल दिया गया। मायावती जी के राज में जिले में आदिवासियों, दलितों और अन्य वनाश्रित जातियों के 65 हजार में 53 हजार दावे खरिज कर दिये गए जिसके खिलाफ हमारे द्वारा हाईकोर्ट से आदेश कराया बाबजूद इसके अखिलेश सरकार ने इसे लागू नहीं किया। उन्होंने कहा कि जहां बसपा से लेकर अठावले और अन्य दलित नेताओं ने दलित हितों के साथ धोखा किया वहीं पूरे उत्तर भारत में दारापुरी ने डॉ. अम्बेडकर की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए दलित आंदोलन को देश के प्रगतिशील आंदोलन के साथ जोड़ने का काम किया है। इसलिए इस चुनाव में कैमरावाला बटन दबाकर उन्होंने मत देने की अपील की।
सभा को आइपीएफ शहर अध्यक्ष मो0 हनीफ, श्रीकांत सिंह, अनंत बैगा, मनोज भारती, राम दुलारे प्रजापति, विनोद बैगा, रामनारायण भारती, रामेश्वर प्रसाद, परमेश्वर कोल आदि लोगों ने सम्बोधित किया।

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