- सोशलिस्ट पार्टी समाजवाद के लिए संघर्ष तेज करेगी
नई दिल्ली। सोशलिस्ट पार्टी इंडिया का कहना है कि नई भाजपा नीत एनडीए सरकार जाने वाली कांग्रेस नीत यूपीए सरकार की नीतियों को आगे बढ़ाते हुए देश के जल, जंगल, जमीन, खदानों को मुनाफाखोर कारपोरेट घरानों को ज्यादा तेजी से बेचेगी। जाहिर है, इससे समाजवाद कायम करने का संघर्ष और ज्यादा कठिन होगा। इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए सोशलिस्ट पार्टी समाजवाद कायम करने की दिशा में अपना संघर्ष तेज करेगी। -
पार्टी महासचिव व प्रवक्ता डॉ. प्रेम सिंह ने कहा कि सोशलिस्ट पार्टी इंडिया की स्थापना समाजवाद, जैसा कि संविधान में उल्लिखित है, कायम करने के लक्ष्य के साथ हैदराबाद में मई 2011 में की गई। सोशलिस्ट पार्टी ने 16वीं लोकसभा के लिए नागालैंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में 16 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे। पार्टी ने अपने घोषणापत्र में भारत के मतदाताओं से कारपोरेट पूंजीवाद का खात्मा कर समाजवाद कायम करने तथा सांप्रदायिकता के खिलाफ धर्मनिरपेक्षता को मजबूत बनाने का आहवान किया। पार्टी का घोषणापत्र काफी पहले तैयार कर लिया गया और उसे जनसभाओं, लघु पत्रिकाओं, सोशल मीडिया द्वारा चुनाव के पहले और चुनाव के दौरान लोगों तक पहुंचाने का काम किया गया। घोषणापत्र में साफ तौर पर निजी क्षेत्र के ऊपर सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूती देने और डॉ लोहिया के चौखंभा राज के सिद्धांत पर आधारित सत्ता के विकेंद्रीकरण का वादा किया गया। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए योजना आयोग की सत्ता और भूमिका की संवैधानिक वैधता की जांच करने का भी वादा पार्टी ने किया। घोषणापत्र के अंत में उल्लिखित ‘तुरंत कार्रवाई के एजेंडा’ में सबसे ऊपर रोजगार को मौलिक अधिकारों में शामिल करने का वादा किया गया।
डॉ. प्रेम सिंह ने कहा कि व्यक्ति आधारित चुनाव प्रचार, जिसे कारपोरेट घरानों ने पानी की तरह धन बहाया और मुख्यधारा मीडिया ने दिन-रात प्रचारित किया, में सोशलिस्ट पार्टी की आवाज को जगह नहीं मिली। नतीजा सामने है। उन्होंने पार्टी उसके उम्मीदवारों को वोट और समर्थन देने वाले सभी सहमना साथियों का धन्यवाद अदा किया।
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