मिसाल
काम के प्रति बहुत ही समर्पित भाव रखने वाली उषा के समय का एक बड़ा हिस्सा इस बात में बीतता है कि कैसे किसी काम को नए तरीके से किया जाए
महिलाओं को कम ब्याज दर पर कर्ज देकर उन्हें स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से देश भर में महिला बैंक की शाखाएं खोलने की तैयारी चल रही है। उषा अनंत सुब्रमण्यम इस भारतीय महिला बैंक की पहली चेयरपर्स न और मैने जिंग डार्योक्टर चुनी गई हैं। उषा वुमेन पावर के लिए नया इतिहास रचने वाली हैं। उनकी जुझारू प्रवृत्ति और क्षमता को देखकर ही उन्हें यह पद दिया गया है। 31 साल के अपने करियर में उन्होंने कई बुलंदियां छुई हैं। कई चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। उषा का गृह नगर चेन्नई है। उन्होंने सांख्यिकी और भारतीय संस्कृति में मास्टर्स डिग्री ली। सांख्यिकी ने उन्हें गणनाओं और आंकड़ों की दुनिया का सिरमौर बनाया और भारतीय संस्कृति ने कर्म के महत्व को समझाया। वे कहती हैं कि भारतीय संस्कृति पढ़ने का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि इसने जोखिम के प्रबंधन में मुझे माहिर बनाया। इससे उषा ने यह सीखा कि विकट परिस्थितियों में कैसे सामान्य रहा जाए। हालांकि परंपरा को वे अपनाने में आगे हैं लेकिन नई चीजों को लेकर भी उनमें जुनून है। काम के प्रति बहुत ही समर्पित भाव रखने वाली उषा के समय का एक बड़ा हिस्सा इस बात में बीतता है कि कैसे किसी काम को नए तरीके से किया जाए। उषा 55 साल की हैं, लेकिन हैं जवानों-सी चुस्त-दुरुस्त। पिता अध्यापक रहे हैं और मां गृहिणी। पिता ने शुरू से उनकी शिक्षा को जीवन की पहली प्राथमिकता दी। उषा ने बताया कि पिता ने उनसे एक बार कहा था कि मैं तुम्हें जो सबसे अच्छी गिफ्ट दे सकता हूं, वह है अच्छी शिक्षा। वह खुश किस्मत थीं कि उन्हें यह गिफ्ट मिला और इसके मान के तौर पर उन्होंने हमेशा पिता का सिर गर्व से ऊंचा रखा। उन्होंने सांख्यिकी की उच्च शिक्षा मद्रास यूनिवर्सिटी से हासिल की और भारतीय संस्कृति की पढ़ाई बंबई यूनिवर्सिटी से। पहली नौकरी एलआईसी में असिस्टेंट मैनेजर के तौर पर की। बैंकिंग के क्षेत्र में 1982 में आई और तब बैंक ऑफ बड़ौदा में बतौर प्लानिंग असिस्टेंट ऑफीसर ज्वाइन किया। 29 साल बैंक ऑफ बड़ौदा में ही बिताये और इसके बाद 2011 में एग्जीक्यूटिव डार्योक्टर बनकर पंजाब नेशनल बैंक आ गई। बैंक ऑफ बड़ौदा में उन्होंने कई शानदार काम किये। वहां उन्होंने लाइफ इंश्योरेंस ज्वाइंट वेंचर की शुरुआत की। साथ ही, ट्रां सफॉम्रेशन प्रोजेक्ट्स चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। केंद्र सरकार ने जब महिला बैंक की स्थापना और उससे जुड़े मुद्दों पर ब्लूप्रिंट तैयार करने के लिए एक समिति बनाई, तो सदस्य के तौर पर उषा को भी शामिल किया गया। समिति की रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद वित्त मंत्रालय ने बैंक के लिए एक कोर मैनेजमेंट टीम बनाई जिसकी कमान उषा को सौंपी गई। उन्हों ने जिस तरह से अब तक अपना दायित्व निभाया, उससे यही उम्मीद की जा रही है कि राष्ट्रीय महिला बैंक को वे सफलता की बुलंदियों पर पहुंचा देंगी। इस बैंक का उद्देश्य महिलाओं की वित्तीय जागरूकता और उन्हें बैंकिंग फ्रेंडली बनाना है। वे कहती हैं कि मैंने अपने अनुभवों से पाया है कि महिलाओं में कारोबार को लेकर काफी अच्छी समझ होती है। समस्या यह है कि उन्हें मौके नहीं मिलते। जिन्हें मौके मिलते भी हैं उनकी राह में पैसे की किल्लत का एक बड़ा बैरियर होता है। वह उम्मीद जताती हैं कि महिला बैंक उन्हें पैसे भी देगा और अवसर भी। उन्होंने इस बैंक की शाखा अभी केवल सात शहरों में खोली है लेकिन इस वित्त वर्ष के खत्म होने तक उन्हें उम्मीद है कि देश के 25 जगहों पर शाखाएं खोली जाएंगी। हालांकि उन्हें एक-दो बरसों के भीतर देश के हर जिले में बैंक खोलने हैं। रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार, 25 प्रतिशत बैंक ग्रामीण इलाकों में खोले जाने हैं। जाहिर है कि उनकी राह आसान नहीं, लेकिन उन्हें चुनौतियों से प्यार है।
प्र. पूजा कुमारी
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रविवार, 8 दिसंबर 2013
नया इतिहास रचतीं उषा
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