सोमवार, 20 अक्टूबर 2014

हमारे लोकतंत्र का हर स्तम्भ चीनी मिल मालिकों के पाले में खड़ा है किसान हतप्रभ है

आज गन्ने की खेती करने वाले एक किसान से भेंट हुई। उनका कहना था कि इस बार चीनी मिल मालिक सही समय पर मिल चालू करने से मना कर रहे हैं। पिछले साल भी देर से मिल चलने के कारण खेत खाली नहीं हुआ, इसलिए गेंहूँ की बुआई समय से नहीं हो पाई थी। मिल मालिकों ने गन्ने का पेमेंट भी समय से नहीं किया। सरकार से ढेर सारी सहूलियतें मिलने के बावजूद अभी तक चीनी मिलों पर किसानों का हजारों करोड़ रूपए बकाया है। अपना पैसा पाने के लिए हम अदालतों का मुँह देखने और पुलिस की लाठी खाने को मजबूर हैं।इस बार सरकार ने गन्ने का भाव 220 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है जो पिछले साल से काफी कम है। भाजपा ने चुनाव के समय वादा किया था कि सरकार

दिगंबर, लेखक जाने-माने वामपंथी विचारक हैं।

बनी तो वह किसानों की फसल की कीमत कुल लागत पर पचास फीसदी लाभ जोड़ कर दिलाएगी। इस हिसाब से गन्ने की कीमत 400 रुपए प्रति क्विंटल से कम नहीं होना चाहिए।220 रुपए में तो खर्च भी पूरा नहीं पड़ेगा। लागत खर्च लगातार बढ़ रहा है, फसल का दाम घट रहा है। इसीलिए क़र्ज़ में डूबे किसान आत्महत्या कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग गन्ने की कीमत तय करते हैं, उनको पहले नंगे बदन गन्ने के खेत में दौड़ाना चाहिए और ज्यादा नहीं तो सिर्फ एक क्विंटल तैयार गन्ने की फसल काट कर और छील कर उसे चीनी मिल के गेट तक पहुँचाने की ज़िम्मेदारी देनी चाहिए। तभी उनको गन्ने की कीमत का कुछ अंदाज़ा लग पायेगा। उनका यह भी कहना था कि लाखों रूपए तनख्वाह पाने वालों का वेतन-भत्ता जब किसान तय नहीं करते, तो वे हमारी फसल का दाम तय करने वाले कौन होते हैं। चीनी मिल मालिकों और किसानों के बीच की रस्साकशी में हमारे लोकतंत्र का हर स्तम्भ चीनी मिल मालिकों के पाले में खड़ा है। किसान हतप्रभ हैं, भीतर-भीतर सुलग रहे हैं।

मोदी सरकार यूपीए की राह पर – आइपीएफ

लखनऊ, 19 अक्टूबर, 2014। आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) ने मोदी सरकार द्वारा काले धन के सवाल पर जनता के साथ की गयी वादाखिलाफी पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए इसकी तीखी निन्दा की है।

आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आई0 जी0 एस0 आर0 दारापुरी ने आज जारी बयान में कहा कि मोदी सरकार पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार की ही सच्ची वारिस साबित हो रही है और उसी के नक्शेकदम पर चल रही है। उसने चुनाव के दौरान काले धन को वापस लाने के जो बड़े-बड़े वायदे से जनता से किए थे और जनादेश हासिल किया था उस पर अब सरकार पीछे हटकर जनादेश का अपमान कर रही है।

श्री दारापुरी ने हालिया डीजल के दामों में हुयी कमी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोदी सरकार अनावश्यक रूप से तेल की कीमतों में कमी का श्रेय ले रही है। जबकि सच यह है कि अमेरिका ने सऊदी अरब और जार्डन के साथ मिलकर रूस-ईरान गठजोड़ को तेल बाजार में शिकस्त देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार में डीजल के दामों में भारी कमी कर दी है। लेकिन इसी बहाने खतरनाक निर्णय लेते हुए मोदी सरकार ने डीजल की कीमतों पर से सरकारी नियंत्रण खत्म कर इसे बाजार के हवाले कर दिया है और इस पर दी जाने वाली सारी सब्सडियां खत्म कर दी हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कमी का यह रूख कभी भी बदल सकता है और आने वाले दिनों में डीजल के दामों में भारी वृद्धि हो सकती है, जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा।