भोपाल, 17 फरवरी। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा चुटका परमाणु ऊर्जा परियोजना के जबरन क्रियान्वयन के खिलाफऔर जनता के लोकतान्त्रिक अधिकारों के हनन व संविधान के खुल्लमखुल्ला उल्लंघन के विरोध में 17 फरवरी 2014 को भोपाल व प्रदेश के अन्य जिलों में अनेक राजनीतिक दलों और जन-संगठनों ने प्रदेश-व्यापी काला-दिवस मनाया। भोपाल में इसके अन्तर्गत बोर्ड ऑफिस चौराहा पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया और राज्य मानवाधिकार आयोग में याचिका दायर की गयी। याचिका को स्वीकार करते हुये आयोग ने इसकी सुनवाई के लिये ‘डिविज़न बेंच’ के गठन का निर्देश दिया।
बता दें कि 17 फरवरी 2014 को प्रदेश के मंडला जिले में चुटका परमाणु ऊर्जा परियोजना के लिये केन्द्र और राज्य सरकार मिलकर तीसरी बार ‘जन-सुनवाई’ करवाने की कोशिश कर रही हैं। पिछले साल दो बार ‘जन-सुनवाई’ करवाने का प्रयास किया गया था लेकिन व्यापक विरोध को देखते हुये ऐन वक्त पर सरकार को दोनों ही बार सुनवाई रद्द करनी पड़ी। लेकिन इस बार विरोध को कुचलने के लिये सरकार अपनी पूरी ताकत लगा रही है। चुटका में सैंकड़ो की तादात में हथियारबंद पुलिस ने पूरे इलाके को घेर लिया है और मंडला-जबलपुर मार्ग, जहाँ से हो कर चुटका पहुँचा जा सकता है, उस रास्ते पर पूरी बैरीकेडिंग कर लोगों की आवाजाही पर नजर रखी जा रही है।
जन सुनवाई का विरोध कर रहे जनसंगठनों चुटका परमाणु संघर्ष समीति; भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (म.प्र.); भारत की कम्युनिस्ट पार्टी – मार्क्सवादी-लेनिनवादी (म.प्र.); गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (म.प्र.); अखिल भारतीय क्रांतिकारी विद्यार्थी संगठन (म.प्र.); ऑल इण्डिया स्टुडेंट्स फेडेरेशन (म.प्र.); ऑल इण्डिया यूथ फेडेरेशन (म.प्र.); क्रांतिकारी नौजवान भारत सभा (म.प्र.); गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन, भोपाल; पीपल्स इनिशियेटिव अगेंस्ट न्युक्लियर पावर; मध्य प्रदेश महिला मंच; शिक्षा अधिकार मंच, भोपाल व सेंट्रल गवर्नमेंट पेंशनर्स एसोसिएशन ने कहा है कि इस तरह देश और प्रदेश की सरकारें मिलकर बंदूक की नोक पर जन-सुनवाई करवाने का प्रयास कर रही हैं। यह लोकतंत्र और जनता के संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
इन संगठनों ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल से अपील की कि प्रदेश की जनता की इच्छा और परमाणु ऊर्जा के विनाशकारी परिणामों के देखते हुये चुटका परमाणु ऊर्जा परियोजना को तत्काल रद्द करने के लिये आवश्यक कदम उठाये जायें। वक्ताओं ने इस तथ्य को सामने रखा कि अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और जापान समेत अनेक विकसित देशों ने वहाँ की जनता की लोकतान्त्रिक मांग का सम्मान करते हुये अपने देशों में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम पर रोक लगाया है। लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में केन्द्र व राज्य सरकारें जनता की लोकतान्त्रिक माँगों की और साथ ही परमाणु ऊर्जा के जन-जीवन व पर्यावरण पर पड़ने वाले घातक परिणामों की अनदेखी कर रही हैं।
आन्दोलनकारियों ने कहा कि चुटका परमाणु परियोजना असल में एक और भोपाल गैस काण्ड को दोहराने वाला कदम है। गैस काण्ड की विभीषिका ने यह साबित कर दिया था कि भारत की सरकारें, चाहे वे केन्द्र की हों या राज्य की, मुनाफाखोर कारपोरेट हितों के लिये जनता के हितों की सोची-समझी अनदेखी कर रही हैं। देश का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम जनता के लिये नहीं बल्कि परमाणु ऊर्जा से जुड़ी देसी और विदेशी कम्पनियों के फायदे के लिये चलाया जा रहा है। कार्यकर्ताओं ने भोपाल की जनता से अपील करते हुये कहा कि अगर भोपाल ने चुटका परमाणु परियोजना के खिलाफ आज आवाज नहीं उठाई गयी तो कल इसकी विनाशलीला से बचना नामुमकिन होगा।
(भोपाल से लोकेश मालती प्रकाश की रिपोर्ट)
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