प्रचार में फंसा मीडिया नायक मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर।
उसके बाद भी सरकार फासिस्टों की नहीं बनेगी
इसी तरह की बातें जब वह राजीव गांधी के प्रवक्ता थे तब कहा करते थे। असल में तथाकथित बड़े पत्रकार सत्ता के प्रतिष्ठानों और कॉर्पोरेट सेक्टर के बीच मीडिएटर का काम करते हैं और मीडिएट होने के बाद वह स्वयं भी देश की सेवा में सीधे- सीधे उतर पड़ते हैं। यह कोई भी आश्चर्य की बात नहीं है।
भाजपा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का अनुषांगिक संगठन है जो नागपुर मुख्यालय से संचालित होता है। जर्मन नाजीवादी विचारधारा से ओत प्रोत संगठन है। विश्व का कॉर्पोरेट सेक्टर अपनी पूरी ताकत के साथ भारत के ऊपर फासिस्ट वादी ताकतों का कब्ज़ा कराना चाहता है। जिससे यहाँ के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर अकूत मुनाफा कमाया जा सके। भाजपा में बाराबंकी से लेकर बाड़मेर तक और नागपुर मुख्यालय से लेकर झंडे वालान तक कुर्सी के लिए मारपीट हो रही है, मान मनौव्वल हो रही है। चुनाव हुए नहीं हैं, प्रधानमंत्री ,उप प्रधानमंत्री, गृह मंत्री के पद बाटें जा रहे हैं। जगदम्बिका पाल से लेकर सत्यपाल महाराज, रिटायर्ड जनरल-कर्नल से लेकर वरिष्ठ नौकरशाह पुलिस अधिकारी पत्रकार गिरोह बनाकर देश सेवा अर्थात लुटाई में हिस्सेदारी के लिए अपनी नीति, विचार त्याग सबको तिलांजलि देकर रातों रात अपनी निष्ठाएं और आस्थाएं बदल रहे हैं। उसके बाद भी सरकार फासिस्टों की नहीं बनेगी।
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