रविवार, 23 मार्च 2014

मोदी के अकबर

प्रचार में फंसा मीडिया नायक मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर।

उसके बाद भी सरकार फासिस्टों की नहीं बनेगी

रणधीर सिंह सुमन
जब राजीव गांधी की तूती बोलती थी तो उनकी जय-जयकार होती थी… और जब मीडिया ने एक भ्रामक हिन्दुत्व की लहर भारतीय समाज में पैदा की तो उस भ्रम को फैलाने का कार्य करने वाले उसी भ्रम में एम जे अकबर साहब दिग्भ्रमित होकर फंस गये। उनका सारा इतिहास का ज्ञान सामर्थ्य नमो-नमो करने के लिए समर्पित हो गया है। उदारवादी नीतियों के चलते अपनी सुख सुविधाओं को बरक़रार रखने के लिए पतन की कोई सीमा रेखा इस घटना के बाद नहीं रह जाती है
यह ऐतिहासिक सत्य भी है कि अवसरवादी बुद्धिजीवी अपनी सुख सुविधाओं के लिए कुछ भी कर सकता है। जिसका प्रत्यक्ष उद्धरण यह हैं- एम जे अकबर। वे कांग्रेस से सांसद रह चुके हैं। बिहार के किशनगंज से दो बार सांसद रहे हैं, साथ ही वे राजीव गांधी के प्रवक्ता भी रहे हैं। वे इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटोरियल डॉयरेक्टर भी रहे हैं। अकबर ने कहा, ‘‘यह हमारा कर्तव्य है कि हम देश की आवाज के साथ आवाज मिलाएं और देश को फिर से पटरी पर लाने के मिशन में जुट जाएं। मैं भाजपा के साथ काम करने को तत्पर हूँ।’’
इसी तरह की बातें जब वह राजीव गांधी के प्रवक्ता थे तब कहा करते थे। असल में तथाकथित बड़े पत्रकार सत्ता के प्रतिष्ठानों और कॉर्पोरेट सेक्टर के बीच मीडिएटर का काम करते हैं और मीडिएट होने के बाद वह स्वयं भी देश की सेवा में सीधे- सीधे उतर पड़ते हैं। यह कोई भी आश्चर्य की बात नहीं है।
भाजपा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का अनुषांगिक संगठन है जो नागपुर मुख्यालय से संचालित होता है। जर्मन नाजीवादी विचारधारा से ओत प्रोत संगठन है। विश्व का कॉर्पोरेट सेक्टर अपनी पूरी ताकत के साथ भारत के ऊपर फासिस्ट वादी ताकतों का कब्ज़ा कराना चाहता है। जिससे यहाँ के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर अकूत मुनाफा कमाया जा सके। भाजपा में बाराबंकी से लेकर बाड़मेर तक और नागपुर मुख्यालय से लेकर झंडे वालान तक कुर्सी के लिए मारपीट हो रही हैमान मनौव्वल हो रही है। चुनाव हुए नहीं हैं, प्रधानमंत्री ,उप प्रधानमंत्री, गृह मंत्री के पद बाटें जा रहे हैं। जगदम्बिका पाल से लेकर सत्यपाल  महाराज, रिटायर्ड जनरल-कर्नल से लेकर वरिष्ठ नौकरशाह पुलिस अधिकारी पत्रकार गिरोह बनाकर देश सेवा अर्थात लुटाई में हिस्सेदारी के लिए अपनी नीति, विचार त्याग सबको तिलांजलि देकर रातों रात अपनी निष्ठाएं और आस्थाएं बदल रहे हैं। उसके बाद भी सरकार फासिस्टों की नहीं बनेगी

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