- वैकल्पिक नीतियों पर संघर्ष वक्त की जरूरत- करात
- मुजफ्फरनगर में उ0 प्र0 की समाजवादी सरकार की भूमिका शर्मनाक-जस्टिस सच्चर
- कॉरपोरेट घरानों को लोकपाल के दायरे में लाए बिना महाधोटालों को रोकना असम्भव – अखिलेन्द्र
- आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने जंतर मंतर पर शुरू किया दस दिवसीय उपवास
नई दिल्ली, 7 फरवरी 2014, वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के पूर्व महासचिव कॉमरेड ए बी वर्धन ने कहा है कि कॉरपोरेट घराने देश में भ्रष्टाचार की गंगोत्री हैं और इनकी राजनीति और अर्थनीति के खिलाफ जनता की राजनीति के लिये अखिलेन्द्र के इस उपवास का हम समर्थन करते हैं।
कॉरपोरेट घरानों को लोकपाल कानून के दायरे में लाने, रोजगार के अधिकार को नीति निर्देशक तत्व की जगह संविधान के मूल अधिकार में शामिल करने, साम्प्रदायिक हिंसा निरोधक बिल को संसद से पारित कराने, कृषि योग्य भूमि के कॉरपोरेट खरीद पर रोक लगाने, कृषि लागत मूल्य आयोग को वैधानिक दर्जा देने, राष्ट्रीय भूमि उपयोग नीति व सर्वागीण जनपक्षीय खनन नीति बनाने, कॉरपोरेट पर टैक्स बढ़ाने, शिक्षा-स्वास्थ्य-कृषि समेत जनहित के मदों पर खर्च बढ़ाने, राष्ट्रीय वेतन नीति बनाने, महंगाई रोकने के लिये वायदा कारोबार पर रोक लगाने, ठेका व दिहाड़ी श्रमिकों को नियमित करने, अति पिछड़ों, पिछड़े-दलित मुसलमानों, आदिवासियों के सामाजिक न्याय के अधिकार, हिफाजत, इंसाफ, जम्हूरियत और कानून का राज स्थापित करने समेत आम नागरिक की ज़िन्दगी के लिये महत्वपूर्ण सवालों पर आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने जंतर-मंतर पर आज से अपना दस दिवसीय उपवास शुरू कर दिया।
अखिलेन्द्र के उपवास का समर्थन करने आए सीपीआई (एम) के महासचिव कॉमरेड प्रकाश करात ने कहा कि जिन मुद्दों को इस उपवास के माध्यम से उठाया जा रहा है वह देश में आर्थिक, सामाजिक, लोकतान्त्रिक व राजनीतिक अधिकारों के लिये वैकल्पिक नीतियों के सवाल है और इन पर आन्दोलन आज वक्त की जरूरत है। इन मुद्दों पर जारी इस आन्दोलन को सीपीआई (एम) हर तरह से मजबूत करने में योगदान करेगी।
सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेन्द्र सच्चर ने कहा कि यह दुखद है किन्तु सच है कि उ0 प्र0 की समाजवादी सरकार के राज में अल्पसंख्यक शरणार्थी शिवरों में रहने को मजबूर हैं और इस पूरे मामले में उसकी भूमिका बेहद शर्मनाक है।
उपवास से बैठने के पूर्व अखिलेन्द्र ने सभा को सम्बोधित करते हुये कहा कि कॉरपोरेट घरानों ने पूरे राजनीतिक तन्त्र को भ्रष्ट कर दिया है। राजनीतिक व नौकरशाही तन्त्र से गठजोड़ कायम कर वह हमारे प्राकृतिक संसाधनों व सरकारी खजाने समेत बहुमूल्य राष्ट्रीय सम्पदा की लूट में लिप्त है। इसी तरह फोर्ड फांउडेशन जैसी साम्राज्यवादी एजेंसियों के फण्ड से संचालित एनजीओ हमारे राष्ट्रीय जीवन में भ्रष्टाचार के खतरनाक स्रोत हैं। उनकी बढ़ती घुसपैठ के हमारे स्वतंत्र नीति निर्णयों तथा सुरक्षा के लिये गम्भीर निहितार्थ हैं। लेकिनएनजीओ कारोबार भी लोकपाल के दायरे के बाहर है। इसलिये उन्होंने कॉरपोरेट और एनजीओं को लोकपाल के दायरे में लाने की माँग उठायी। उन्होंने कहा कि बगैर जनपक्षिय नीतियों को लागू किए और लोकतान्त्रिक अधिकारों वसामाजिक न्याय की गारंटी के सुशासन की बात महज दिखावा है।
अखिलेन्द्र ने बताया कि इस उपवास को जिस तरह से देश की तमाम लोकतान्त्रिक, प्रगतिशील व इंसाफपसंद ताकतों का समर्थन हासिल हुआ है उससे यह विश्वास पुख्ता हुआ है कि इस देश में कॉरपोरेट राजनीति को शिकस्त मिलेगी और जनता की राजनीति की जीत होगी। इस उपवास कार्यक्रम में उ0 प्र0, बिहार, झारखण्ड़, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखण्ड़, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, कर्नाटक समेत विभिन्न राज्यों से प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे है।
उपवास कार्यक्रम को गांधी इंस्टीटयूट के निदेशक व अर्थशास्त्री प्रो दीपक मलिक, सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रेम सिंह, सीपीआई(एमएल) न्यू पोलितरेट के महासचिव शिवमंगल सिद्धान्तकर, पूर्व आईजी व दलित चितंक एस आर दारापुरी, प्रो0 निहालुद्दीन अहमद, सलाउद्दीन खां, लाल देवेन्द्र सिंह चौहान, लाल बहादुर सिंह, वरिष्ठ पत्रकार आनंद स्वरूप वर्मा, सामाजिक न्याय मोर्चा के चौधरी यशवंत सिंह, दिनकर कपूर, बुनकर वाहनी के इकबाल अहमद अंसारी, जोखू सिद्दकी, विवेक यादव आदि ने सम्बोधित किया और सभा का संचालन अजीत सिंह यादव ने किया।
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